भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ | India Culture Essay in Hindi

भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ इन हिंदी

भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ निबंध भारतीय संस्कृति की दो विशेषताएँ भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ इन हिंदी main characteristics of indian culture bhartiya sanskriti ki pramukh visheshataen bharatiya Sanskriti ki pramukh visheshatayen – भारतीय संस्कृति के आधारभूत तत्व प्राचीन भारत का इतिहास वसुधैव कुटुम्बकम् – हजारों वर्षों की परम्परों से पुष्ट भारतवर्ष किसी समय विश्व गुरु कहलाता था। जिस समय आज के उन्नत एवं सभ्य कहे जाने वाले राष्ट्र अस्तित्वहीन थे या जंगली अवस्था में थे ,उस समय भारत भूमि पर वैदिक ऋचाएँ लिखी जा रही थी ,वैदिक मन्त्रों का गान गूँज रहा था यार यज्ञों की पवित्र ज्वालाओं का सुगन्धित धुआं पूरे वातावरण को आनंदमय बना रहा था। वृद्ध भारतवर्ष की सभ्यता और संस्कृति महान है। कविवर इकबाल ने जब लिखा है कि – 
यूनान-ओ-मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा 
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा 

भारत की महान संस्कृति

तो निश्चय ही उनका संकेत भारत की महान संस्कृति की ओर ही था। हजारों वर्ष की पराधीनता का अन्धकार हमें हमारी प्राचीन विरासत से वंचित नहीं कर पाया। आज भी हम वैदिक ऋषियों की संतान होने का गौरव अनुभव करते हैं। रामायण ,महाभारत ,वेद – पुराण आज भी हमारे पूज्य ग्रन्थ हैं। आज भी गंगा ,नर्मदा ,कावेरी हमारे लिए पवित्र हैं। भारतीय संस्कृति अजर – अमर हैं क्योंकि वह समय के साथ बदलने की क्षमता रखती हैं। इसमें मानव मात्र की रक्षा का भाव निहित हैं।  

संस्कृति की अवधारणा

संस्कृति वह है जो श्रेष्ठ कृति अर्थात कर्म के रूप में व्यक्त होती है। कर्म निश्चित ही विचार पर आधारित होता है। जो ज्ञान एवं भाव संपदा हमारे कर्मों को श्रेष्ठ बनाती है ,वह संस्कृति है। मनुष्य में पशुता और देवत्व का वास एक साथ रहता है। जो भाव या विचार हमें पशुत्व से देवत्व की ओर ले जाते हैं। संस्कृति का अंग माना जाना चाहिए। मनुष्य ,प्राकृतिक अवस्था में होता है। समाज के प्रभाव एवं उसके अपने अनुभव उसे प्रकृति से विकृति की ओर भी ले जा सकते हैं और सुकृति की ओर भी। सुकृति अर्थात अच्छे कार्यों की ओर ले जाना ही संस्कृति का कार्य है। दूध यदि

भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ | India Culture Essay in Hindi

विकृति की ओर जाएगा तो वह फट जाएगा और अनुपयोगी बन जाएगा। यदि सुकृति की ओर जाएगा तो दही ,माखन ,खोया आदि बनेगा। उसकी कीमत कहीं अधिक बढ़ जायेगी। इसी प्रकार मनुष्य यदि पशुत्व अथवा दानवत्व की ओर जाएगा तो उसकी हत्या करनी पड़ेगी ,यदि देवत्व की ओर जाएगा ,उसकी पूजा होगी। भारतीय संस्कृति ने सदा ही अन्धकार से प्रकाश की ओर जाने की प्रार्थना की है। किसी भी देश अथवा जाति की संस्कृति उसके जीवन मूल्यों आदर्शों ,रहन – सहन के तरीकों एवं आस्थाओं और मान्यताओं के रूप में सामने आती है। संस्कृति हमारे भौतिक जीवन को सुधारती है और हमारे ऐन्द्रिक जगत को परिस्कृत करती है। विचारों एवं भावों का परिष्कार भी संस्कृति का कार्य है। संस्कृति यह कार्य साहित्य ,विज्ञान एवं कलाओं का प्रचार – प्रसार करती है।

भारतीय संस्कृति की एक विशेषता यह है कि यह संस्कृति किसी जाति अथवा राष्ट्र तक सिमित नहीं है। वैदिक ऋषि सारे विश्व को आर्य अर्थात श्रेष्ठ बनाना चाहता है। वह अपने मन्त्रों में सम्पूर्ण सृष्टि के लिए मंगल कामना करता है। मानव मात्र को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने का प्रण दुहराता है। भारतीय संस्कृति अपने मूल रूप में मानव संस्कृति अथवा विश्व संस्कृति है। 
भारतीय संस्कृति अध्यात्म प्रधान संस्कृति है। भौतिक उन्नति को हमने त्याज्य नहीं माना परन्तु उसे आत्मिक जीवन से ज्यादा महत्व नहीं दिया। साधू महात्माओं को पर्ण कुटियों पर साम्राज्यों ने सदा ही सर झुकाया है। संतोष एवं संयम को यहाँ सदा सम्मान मिला है। ईश्वर ने अटल विश्वास रखने वाले अधनंगे फकीरों ने यहाँ के जन जीवन को सम्राटों की अपेक्षा अधिक प्रभावित किया। यहाँ का भामाशाह तभी सम्मान का पात्र बना तब उसने देश रक्षा के लिए अपना खजाना किसी राणा प्रताप को समर्पित कर दिया। त्याग हमारी संस्कृति में सम्मान पाता रहा है। 

नारी का सम्मान 

भारतीय संस्कृति में नारी सदा ही सम्मान एवं पूजा की अधिकारिणी रही है।  कृष्ण से पहले राधा और राम से पहले सीता का नाम केवल यही लिया जाता है। इसी देश में नारी को शक्ति के रूप में ,ज्ञान के प्रकाश के रूप में ,लक्ष्मी की उज्जवलता के रूप में देखा जा सका है। विश्व की अन्य किसी भी संस्कृति में नारी शक्ति को ऐसा गौरवपूर्ण स्थान नहीं मिला है।
भारतीय संस्कृति उदार ,ग्रहणशील एवं समय के साथ परिवर्तनशील रही है। अनेक विदेशी संस्कृतियाँ इससे टकरा कर नष्ट हो गयी या इसी का अंग बन गयी। भारत तो मानव समुन्द्र है। यहाँ पर शक ,कुशान ,हूँण ,पठान ,मुसलमान ,पारसी ,यहूदी ,ईसाई सभी आये और सभी ने यहाँ की संस्कृति को पुष्ट किया। भारतीय संस्कृति इस अर्थ में समन्वित संस्कृति है। यह तो सुन्दर फूलों का गुलदस्ता है। सर्वधर्म स्वभाव हमारी संस्कृति की विशेषता है। 

सार रूप में कह सकते हैं कि भारतीय संस्कृति सही अर्थों में मानव संस्कृति है ,उदार संस्कृति है ,अध्यात्म प्रधान आदर्श परक संस्कृति है ,मनुष्य में ईश्वरत्व की प्रतिष्ठा करने वाली संस्कृति है  . 

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