प्रार्थना समाज की स्थापना कब हुई

प्रार्थना समाज की स्थापना 1867 ई. में बम्बई महाराष्ट्र में हुई। इसके संस्थापक “आत्माराम पाण्डुरंग” थे। महादेव गोविन्द रानाडे, एन. जी. चंदावरकर तथा आर. जी. भण्डारकर आदि इनके प्रमुख सहयोगी थे। इनके सहयोग के कारण प्रार्थना समाज को काफी ख्याति मिली। इस समाज की स्थापना की प्रेरणा महाराष्ट्र यात्रा के दौरान केशवचन्द्र सेन ने दी थी।

 

1871 ई. में रानाडे ने एक सार्वजनिक समाज की स्थापना की। रानाडे को “महाराष्ट्र का सुकरात” कहा जाता है। इन्हें पश्चिम भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अग्रदूत माना जाता है। रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले के राजनैतिक गुरु थे। इन्होंने अपने आस्तिकता सम्बन्धी विचार अपनी पुस्तक “एक आस्तिक की धर्म में आस्था” में व्यक्त किये।

प्रार्थना समाज के उद्देश्य

इस समाज की चार प्रमुख मांगें या उद्देश्य थे।

1-जाति प्रथा का अंत किया जाये।

2-पुरुषों तथा स्त्रियों की विवाह की आयु में वृद्धि की जाये।

3-विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दिया जाये।

4-स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाये।

इस समाज ने दलितों, अछूतों, पिछड़ों तथा पीड़ितों की दशा एवं दिशा में सुधार हेतु “दलित जाति मण्डल, समाज सेवा संघ तथा दक्कन शिक्षा सभा” का गठन किया। दक्कन शिक्षा सभा को ही बाद में “पूना फर्ग्युसन कॉलेज” कहा गया।

भारतीय नव जागरण के अग्रदूत

रानाडे ने विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए 1891 ई. में “विडो रीमैरेज एसोसिएशन” का गठन किया किया। इनके प्रमुख सहयोगी “धौंदो केशव कर्वे” ने 1899 ई. में पूना में एक “विधवा आश्रम संघ” की स्थापना की। जहाँ विधवाओं को आत्मनिर्भर बनाकर जीवन को नई दृष्टि से देखने के लिए उत्साहित किया जाता था।

कर्वे ने विधवा विवाह तथा स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर दिया। उन्होंने 1893 ई. में एक विधवा से विवाह किया तथा 1916 ई. में बम्बई में प्रथम “भारतीय महिला विश्वविद्यालय” की स्थापना की।

पंजाब में प्रार्थना समाज के प्रचार प्रसार का श्रेय दयाल सिंह प्रन्यास को जाता है। इन्होंने इस विचारधारा को फैलाने के लिए 1910 ई. में दयाल सिंह कॉलेज की स्थापना की।

दक्षिण भारत में प्रार्थना समाज के प्रचार प्रसार का सबसे बड़ा श्रेय तेलगू भाषा के विद्वान “वीरेसलिंगम पुण्टुलू” को जाता है।

वेद समाज की स्थापना

वेद समाज की स्थापना केशवचन्द्र सेन के प्रयासों से 1864 ई. में मद्रास में के. श्री धरालु नायडू ने की थी। वी राजगोपाल चारलू, पी सुब्रयल चेट्टी और विश्वनाथ मुदलियार आदि इसके प्रमुख सदस्य थे। 1871 ई. वेद समाज का नाम बदलकर “दक्षिण भारत का ब्रह्म समाज” रख दिया गया।

Question. दक्कन एजुकेशन सोसाइटी को बाद में किस नाम से जाना गया?

Answer. पूना फर्ग्युसन कॉलेज

Question. 1916 ई. में बम्बई में प्रथम भारतीय महिला विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी?

Answer. डी के कर्वे ने

Question. महाराष्ट्र का सुकरात किसे कहा जाता है?

Answer. एम जी रानाडे को

Question. गुजरात में मानव धर्म सभा तथा यूनिवर्सल रिलिजियन्स सोसायटी का गठन किसने किया था?

Answer. मेहता जी दुर्गाराम मंसाराम ने

Question. वेद समाज की स्थापना किसने की थी?

Answer. के. श्री धरालु नायडू ने

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