अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था-The market system of Alauddin Khilji

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी बरनी की कृति “तारीख-ए-फिरोजशाही” में मिलती है। इसके अतिरिक्त थोड़ी बहुत जानकारी अमीर खुसरो की पुस्तक ‘खजाइनुल फुतूह’, इब्नबतूता की पुस्तक ‘रेहला’ तथा इसामी की पुस्तक ‘फुतुहस सलातीन’ से प्राप्त होती है।

 अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार व्यवस्था की देख-रेख के लिए “दीवान-ए-रियासत” विभाग की स्थापना की थी। यह विभाग बाजार नियन्त्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था।

Memorable point

अलाउद्दीन खिलजी “मूल्य नियंत्रण प्रणाली” को दृढ़ता से लागू किया।

उसने एक अधिनियम द्वारा दैनिक उपयोग की वस्तुओं का मूल्य निश्चित कर दिया।

अलाउद्दीन ने वस्तुओं का मूल्य “प्रगतिशील उत्पादन लागत” के सिद्धान्त पर निश्चित किया।

वह दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था जिसने “सार्वजनिक वितरण प्रणाली” लागू की थी।

दीवान-ए-रियासत-यह व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था तथा बाजार नियन्त्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था।

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अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक याकूब को “दीवान-ए-रियासत” नियुक्त किया था।

शाहना-बाजार का अधीक्षक। यह दीवान ए रियासत अधीन होता था। मलिक कबूल को शाहना नियुक्त किया गया था।

बरीद-यह अधिकारी शाहना के अधीन होता था। जो बाजार में घूमकर बाजार की निरीक्षण करते थे।

मुनहियान-ये गुप्तचर होते थे जो बरीद के अधीन कार्य करते थे।

परवाना नवीस-यह अधिकारी वस्तुओं के परमिट जारी करता था।

अलाउद्दीन खिलजी की मूल्य नियन्त्रण प्रणाली को सफल बनाने में मुहतसिब एवं नाजिर (नाप-तौल अधिकारी) नामक अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

अलाउद्दीन ने विभिन्न वस्तुओं के लिए चार प्रकार के बाजार संगठित किये थे।

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1-शहना-ए-मंडी-खाद्यानों की बिक्री हेतु बाजार। इसका प्रमुख शाहना (बाजार का अधीक्षक) कहलाता था।

2-सराय-ए-अदल-यह कपड़ा, चीनी, जड़ी बूटियां, सूखे मेवे एवं घी आदि बिकने का बाजार था।

3-घोड़ों, दासों व मवेशियों का बाजार

4-सामान्य बाजार-दैनिक उपयोग की वस्तुओं जैसे-मिट्टी के बर्तन, जूता, चप्पल, सब्जियां, बर्तन आदि का बाजार।

तालीकोटा का युद्ध

अलाउद्दीन की बाजार व्यवस्था पर विद्वानों के मत

बरनी के अनुसार अलाउद्दीन के बाजार नियन्त्रण का उद्देश्य राजकोष पर अतिरिक्त बोझ डाले बिना सैनिक आवश्यताओं की पूर्ति करना था।

अमीर खुसरो के अनुसार अलाउद्दीन के बाजार नियंत्रण का उद्देश्य आम प्रजा को राहत पहुँचाना था।

फरिश्ता के अनुसार मूल्य नियंत्रण सुल्तान द्वारा शासित अधिकांश प्रान्तों पर लागू था।

मोरलैंड के अनुसार मूल्य नियंत्रण का प्रयास मात्र दिल्ली तक सीमित रह गया, जहाँ सेना केन्द्रित थी।

अलाउद्दीन के बाजार नियम

अलाउद्दीन खिलजी ने एक अधिनियम द्वारा दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्य निश्चित कर दिये। सुल्तान की आज्ञा के बिना किसी वस्तु के मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता था। उसने विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के लिए चार प्रकार के बाजार संगठित किये थे।

1-शहना-ए-मंडी-खाद्यानों की बिक्री हेतु नगर के प्रत्येक मुहल्ले में यह मंडी स्थापित की गयी थी। यहां अनाज की खरीद-बिक्री होती थी। अलाउद्दीन ने इस मंडी से सम्बन्धित आठ नियम बनाये। जिनमें कुछ प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं।

पहले नियम में अलाउद्दीन खिलजी ने सभी खाद्यानों के भाव निश्चित कर दिये। कुछ महत्वपूर्ण अनाजों के प्रति मन मूल्य निम्न प्रकार निश्चित थे-गेहूं 7.5 जीतल, जौ 4 जीतल, चना 5 जीतल, उड़द 5 जीतल।

दूसरे नियम के अंतर्गत मलिक कबूल को शाहना (बाजार का अधीक्षक) नियुक्त किया गया।

तीसरा नियम सरकारी गोदामों में गल्ला एकत्रित करने से सम्बन्धित था।

चौथा नियम गल्ले के परिवहन से सम्बन्धित था।

पांचवे अधिनियम में मुनाफाखोरों के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया था।

2-सराय-ए-अदल-यह एक ऐसा बाजार होता था। जहां वस्त्र, चीनी, जड़ी बूटियां, सूखे मेवे आदि बिकने आते थे। सराय-ए-अदल का निर्माण बदायूं के समीप एक बड़े मैदान में किया गया था। इस बाजार में एक टंके से लेकर दस हजार टंके मूल्य तक की वस्तुएं बिकने आती थीं।

अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार

3-घोड़ों, दासों व मवेशियों के बाजार-इन बाजारों के लिए सुल्तान ने मुख्य रूप से चार नियम लागू किये थे।

किस्म के अनुसार मूल्य का निर्धारण

व्यापारियों व पूंजीपतियों का बहिष्कार

दलाली करने वाले लोगों पर कठोर नियंत्रण

सुल्तान द्वारा बार-बार जांच पड़ताल

4- सामान्य बाजार-ये बाजार दीवान-ए-रियासत के अधीन थे। यहाँ दैनिक उपयोग की वस्तुओं का क्रय विक्रय होता था।

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