बरसात के मौसम में जब कभी आसमान में काले-काले बादल छाए होते हैं तो मन खुशी से खिल उठता है तभी मगर हल्की-फुल्की बारिश की फुहारे पड़ने लगे तो सभी झूम उठते है। बारिश के बंद होने के बाद जब सूर्य की किरणें बादलों से टकराती है तो आकाश में रंग-बिरंगी आकृति दिखाई देती है यही आकृति इन्द्रधनुष कहलाती है। इन्द्रधनुष ये बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल जो हमें इन्द्रधनुष में दिखाई देते हैं।
इन्द्रधनुष के प्रकार
इन्द्रधनुष दो प्रकार के होते हैं-
- प्राथमिक इन्द्रधनुष या दोहरा इन्द्रधनुष
- द्वितीयक इन्द्रधनुष
1. प्राथमिक इन्द्रधनुष – प्राथमिक इन्द्रधनुष में लाल रंग बाहर की ओर और बैगनीरंग अंदर की ओर होता है। इसमें अंदर वाली बैंगनी किरण आंख पर 40°8 तथा बाहर वाली लाल आंख पर 42°8 का कोण बनाती है। मुख्य या दोहरेइन्द्रधनुष में बाहरी भाग पर अर्ध गोला लाल दिखाई देता है जबकि अंदर कीओर बैंगनी चाप होती है। मुख्य रेनबो तब बनता है जब प्रकाश की किरण पानीकी छोटी बूंद में प्रवेश करने पर अपवर्तित होती है और उसके तुरंत बाद बूंद केअंदर से इसके पिछले भाग में प्रतिबिंबित होती है और फिर (प्रकाश की यहकिरण) बूंद की सतह को छोड़ते समय फिर से वापिस अपवर्तित हो जाती है।
2. द्वितीयक इन्द्रधनुष – जब वर्षा की बूंदों पर आपतित होने वाली सूर्य की किरणों का दो बार आपवर्तनव दो बार परावर्तन होता है, तो द्वितीयक इन्द्रधनुष का निर्माण होता है। इसमेंबाहर की ओर बैंगनी रंग एवं अंदर की ओर लाल रंग होता है। बाहर वालीकिरण आंख पर 54°52 का कोण तथा अंदर वाली किरण 50°8 का बनाती है।द्वितीयक इन्द्रधनुष प्राथमिक इन्द्रधनुष की अपेक्षा कुछ धुंधला दिखलाई पड़ताहै।
आसमान में इन्द्रधनुष का बनना बारिश की नन्हीं बूंदों का कमाल है। बारिश के दिनोंमें बारिश की नन्ही-नन्ही बूंदे प्रिज्म का काम करती है। इन्द्रधनुष के बनने का सिद्धान्तयह है कि जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है थोड़ा सा झुकजाता है।
महत्वपूर्ण बिन्दु
इंद्रधनुष मौसम संबंधी घटनाएं हैं जो वायुमंडल में पानी की बूंदों में सूर्य के प्रकाश के फैलाव, प्रतिबिंब और अपवर्तन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं। यहाँ इंद्रधनुष के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:
- गठन: इंद्रधनुष तब बनता है जब सूरज की रोशनी पानी की बूंद में प्रवेश करते समय अपवर्तित (मुड़ी हुई) होती है, फिर बूंद की आंतरिक सतह से आंतरिक रूप से परावर्तित होती है, और अंत में बूंद से बाहर निकलते समय फिर से अपवर्तित हो जाती है।
- प्राथमिक और द्वितीयक इंद्रधनुष: इंद्रधनुष का सबसे आम प्रकार प्राथमिक इंद्रधनुष है, जो अपने लाल, नारंगी, पीले, हरे, नीले, नीले और बैंगनी (ROYGBIV) रंग अनुक्रम द्वारा पहचाना जाता है। द्वितीयक इंद्रधनुष दुर्लभ होता है और इसमें विपरीत रंग अनुक्रम (VIBGYOR) होता है।
- दोहरा इंद्रधनुष: जब स्थितियाँ सही होती हैं, तो प्राथमिक इंद्रधनुष के बाहर एक द्वितीयक इंद्रधनुष दिखाई दे सकता है। इसे दोहरे इंद्रधनुष के रूप में जाना जाता है, जिसमें प्राथमिक अधिक चमकीला और द्वितीयक फीका होता है।
- कोणीय आकार: इंद्रधनुष का कोणीय आकार लगभग 42 डिग्री होता है, जिसे पर्यवेक्षक की आंख से इंद्रधनुष बनाने वाले वृत्त के केंद्र तक मापा जाता है।
- वर्षाबूंदों का आकार: वर्षाबूंदों का आकार इंद्रधनुष के स्वरूप को प्रभावित करता है। छोटी बारिश की बूंदें अधिक चमकीला और रंगीन इंद्रधनुष बनाती हैं।
- स्थान: इंद्रधनुष आमतौर पर तब दिखाई देते हैं जब आपके पास सूरज की रोशनी और बारिश या वातावरण में पानी की बूंदें होती हैं। वे तब भी हो सकते हैं जब सूर्य का प्रकाश कांच या प्रिज्म जैसे अन्य पारदर्शी मीडिया में अपवर्तित होता है।
- पूर्ण वृत्त: जबकि हम अक्सर इंद्रधनुष को अर्धवृत्ताकार चाप के रूप में देखते हैं, वास्तव में वे पूर्ण वृत्त होते हैं। हालाँकि, ज़मीन आमतौर पर निचले आधे हिस्से को बाधित करती है, इसलिए हम आमतौर पर केवल एक अर्ध-वृत्त देखते हैं।
- अलौकिक इंद्रधनुष: कभी-कभी, आप मुख्य इंद्रधनुष के अंदर रंगों की फीकी, अतिरिक्त पट्टियाँ देख सकते हैं। इन्हें अलौकिक इंद्रधनुष कहा जाता है और ये पानी की बूंदों में हस्तक्षेप प्रभाव के कारण होते हैं।
- चंद्र इंद्रधनुष: इंद्रधनुष रात में भी बन सकता है जब चंद्रमा की रोशनी अपवर्तित होती है और पानी की बूंदों से परावर्तित होती है, जिससे चंद्र इंद्रधनुष या चंद्र धनुष बनते हैं।
- प्रतीकवाद: पूरे इतिहास में, विभिन्न संस्कृतियों में इंद्रधनुष के विभिन्न प्रतीकात्मक अर्थ रहे हैं। वे अक्सर आशा, वादे और नवीकरण का प्रतिनिधित्व करते हैं, और कभी-कभी उन्हें सांसारिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों के बीच एक पुल के रूप में देखा जाता है।
- वैज्ञानिक समझ: इंद्रधनुष की भौतिकी को सबसे पहले 17वीं शताब्दी में सर आइजैक न्यूटन ने समझाया था। प्रिज्म के साथ उनके प्रयोगों ने प्रकाश के फैलाव और वर्णक्रमीय रंगों के निर्माण को स्पष्ट करने में मदद की।
- दृष्टिभ्रम: इंद्रधनुष कोई भौतिक वस्तु नहीं बल्कि एक दृष्टिभ्रम है। अंतरिक्ष में इसका कोई विशिष्ट स्थान नहीं है, और आप इसे छू नहीं सकते या उस तक पहुंच नहीं सकते।
इंद्रधनुष न केवल आकर्षक प्राकृतिक घटनाएं हैं बल्कि विभिन्न समाजों में सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व भी रखते हैं। वे अपनी सुंदरता और रहस्य से लोगों को मोहित करते रहते हैं।