जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र आनुवंशिक विविधता बनाए रखने के लिए ऐसे बहुउद्देश्यीय संरक्षित क्षेत्र हैं, जहाँ पौधों, जीव-जंतुओं व सूक्ष्म जीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। यहाँ जैव विविधता एवं पारिस्थितिक तंत्र के प्राकृतिक स्वरूप को बनाये रखने का प्रयास किया जाता है।
जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र के परिक्षेत्र
बायोस्फीयर रिजर्व को मुख्य रूप से तीन परिक्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है।
केंद्रीय परिक्षेत्र/Core area
केंद्रीय परिक्षेत्र जैव विविधता के संरक्षण के लिए होता है। यह बाधारहित तथा प्राकृतिक रूप से रक्षित होता है। यहां पर विनाशरहित अनुसंधान कार्य तथा कम संघटन वाली क्रियाओं जैसे- शिक्षा एवं पारिस्थितिक पर्यावरण जागरूकता आदि को संचालित किया जाता है।
बफर परिक्षेत्र/Buffer area
यह परिक्षेत्र केंद्रीय परिक्षेत्र को चारों तरफ से घेरे रहता है। इसका उपयोग पर्यावरण शिक्षा, मनोरंजन व प्रायोगिक अनुसंधान आदि के लिए किया जाता है।
संक्रमण परिक्षेत्र
जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र का बाहरी भाग जो बफर परिक्षेत्र को चारों तरफ से घेरे रहता है। संक्रमण परिक्षेत्र कहलाता है। इस परिक्षेत्र में आरक्षित प्रबन्धनों तथा स्थानीय लोगों के बीच सक्रिय सहभागिता रहती है।
जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र के उद्देश्य
पौधों, जीव-जंतुओं तथा सूक्ष्म जीवों की विविधता तथा संपूर्णता का संरक्षण करना।
पारिस्थितिकी का संरक्षण एवं संवर्धन तथा अन्य पर्यावरण से सम्बंधित तथ्यों पर अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।
पर्यावरण के सम्बन्ध में शिक्षा, जागरूकता तथा प्रशिक्षण देना।
भारत में जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र
जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्रों को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकारी संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों, स्थानीय लोगों व आधुनिक तकनीकों की सहायता ली जा रही है। भारत में अब तक 18 जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र स्थापित किये जा चुके हैं।
01-नीलगिरि
इसे वर्ष 1986 में बायोस्फीयर घोषित किया गया। नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक राज्यों के वायनाद, नागरहोल, बांदीपुर, मुदुमलाई, निलाम्बर, साईलैंट वैली एवं सिरूवानी हिल्स के भागों के 5520 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है। इस बायोरिजर्व को वर्ष 2000 में यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया।
02-नन्दा देवी
नन्दा देवी बायोस्फीयर रिजर्व को 1988 में जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। यह चमोली, पिथौरागढ़ तथा अल्मोड़ा के भाग में 6497 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर स्थित है। ये सभी भाग उत्तराखंड में पड़ते हैं। नन्दा देवी बायोस्फीयर रिजर्व को 2004 में यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया।
03-नोकरेक
मेघालय राज्य के गोरो पहाड़ी के भाग में 820 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत नोकरेक को 1988 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया। 2009 में इसे यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया।
04-मन्नार की खाड़ी
यह भारत का सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व है। यह भारत तथा श्रीलंका के बीच में स्थित मन्नार की खाड़ी के भाग में 10500 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है। यह क्षेत्र तमिलनाडु राज्य में पड़ता है। वर्ष 2001 में इसे यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया।
05-सुंदरवन
सुंदरवन को 1989 में जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। यह पश्चिम बंगाल के गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा भाग में स्थित है। इसका विस्तार 9630 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर है। 2001 में इसे यूनेस्को जैव मण्डल विकास कार्यक्रम में सूचीबद्ध किया गया।
06-मानस
यह असम राज्य के 2837 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है। इसका विस्तार कोकराझार, बोंगाईगांव, बरपेटा, नालबाड़ी, कामरूप एवं जिलों के भागों में है। इसे 1989 में बायोस्फीयर रिजर्व की श्रेणी में सम्मिलित किया गया।
07-ग्रेट निकोबार
ग्रेट निकोबार को भी 1989 में ही बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया। यह अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सबसे दक्षिणी द्वीप पर 885 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में विस्तृत है। 2013 में यूनेस्को ने ग्रेट निकोबार को वैश्विक जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र में सूचीबद्ध किया।
08-सिमलीपाल
इसे 1994 में जैव संरक्षित की श्रेणी में रखा गया। उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल बायोस्फीयर रिजर्व का क्षेत्रफल 4374 वर्ग किमी. है। वर्ष 2009 में इसे यूनेस्को की जैव आरक्षित श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया।
09-डिब्रू सैखोवा
डिब्रू सैखोवा को वर्ष 1997 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया। यह असम में डिब्रूगढ़ तथा तिनसुकिया जिलों के 820 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है। यह भारत का सबसे छोटा जैव मण्डल संरक्षित क्षेत्र है।
10-दिहांग-दिबांग
अरुणाचल प्रदेश की दिहांग तथा दिबांग नदी घाटी क्षेत्र में विस्तृत दिहांग दिबांग को 1999 में जैव आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। इसका क्षेत्रफल 5111 वर्ग किमी. है।
11-पंचमढ़ी
मध्य प्रदेश के बैतूल, होशंगाबाद एवं छिंदवाड़ा जिलों के भागों में 4926 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत पंचमढ़ी को 1999 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया। इसे वर्ष 2009 में यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया।
12-कंचनजंगा
सिक्किम में स्थित कंचनजंगा का 2000 में जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। 2018 में इसे यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया। यह 2619 वर्ग किमी. क्षेत्र पर विस्तृत है।
13-अगस्थ्या मलाई
भारत में अगस्थ्या मलाई को 2001 में जैव मंडल रिजर्व घोषित किया गया तथा 2016 में यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया। यह तमिलनाडु तथा केरल के तिरुनेलवेली, कन्याकुमारी, तिरुवनंतपुरम, कोल्लम तथा पथानमथिट्टा जिलों में स्थित है। इसका विस्तार 3500 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर है।
14-अचानकमार अमर कंटक
मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित इसे 2005 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया तथा 2012 में यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया। यह 3835 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में विस्तृत है।
15-कच्छ का रन
इसे 2008 में जैव मंडल रिजर्व घोषित किया गया। गुजरात राज्य में स्थित इसका क्षेत्रफल 2454 वर्ग किमी. है।
16-शीत मरुस्थल
हिमाचल प्रदेश स्थित पिन वैली राष्ट्रीय पार्क और आस-पास के क्षेत्र, चंद्रताल, सरय और किब्बर वन्यजीव अभ्यारण्य के भागों को सम्मिलित रूप से वर्ष 2009 में शीत मरुस्थल जैव मंडल रिजर्व घोषित किया गया। इसका क्षेत्रफल 7770 वर्ग किमी. है।
17-शेषाचलम पहाड़ी
2010 में शेषाचलम पहाड़ी को बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर तथा कुडप्पा जिलों के भागों में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 4755 वर्ग किमी. है।
18-पन्ना जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र
पन्ना 2011 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित हुआ तथा 2020 में यूनेस्को में सूचीबद्ध किया गया। यह मध्य प्रदेश के पन्ना तथा छतरपुर जिलों में विस्तृत है। इसका क्षेत्रफल 2998 वर्ग किमी. है।