कर्नापीड़ासन – कर्नापीड़ासन करने का तरीका और फायदे, Karnapidasana in Hindi

Karnapidasana: Karnapidasana in Hindi

कर्नापीड़ासन (Karnapidasana)

कर्णपीड़ासन को इयर प्रेशर पोज़ और नी टु इयर पोज़ भी कहा जाता है। कर्णपीड़ासन को कान के दबाव की मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है। यह योग मुद्रा हलासन के समान होती है।

कर्णपीड़ासन के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक यह है कि सिर में खून का प्रवाह बढ़ जाता है। जो की कान और साइनस ब्लॉकेज को प्राकृतिक रूप से सही करके कानो को स्वथ्य रखता है।

कर्णपीड़ासन, कर्ना + पिडा + आसन के संयोजन से बना है, जिसमें ‘कर्ण’ का मतलब है कान, ‘पिडा’ का मतलब दर्द और आसन का मतलब है मुद्रा।

कर्णपीड़ासन कान से संबंधित सभी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह हलासन और सर्वांगासन का एडवांस स्तर होता है। कर्णपीड़ासन की शुरुआत करने से पहले आपको पहले हलासन और सर्वांगासन में निपूर्ण होना होगा।

कर्णपीड़ासन को करने की विधि

  1. कर्णपीड़ासन को करने के लिए सबसे पहले आसन पर लेट जाए।
  2. भुजाओं को सीधा रखते हुए हाथो को पीठ के बगल में जमीन पर टिका कर रखे।
  3. फिर सांसो को अंदर लेते हुए दोनों टांगो को ऊपर उठाये और अर्ध हलासन की स्थिति में लाये।
  4. इसके बाद कोहिनोयो को जमीन पर टिकाते हुए दोनों हांथो के द्वारा पीठ को सहारा दे।
  5. इस मुद्रा में 1 से २ बार सांसो को अंदर और बाहर की तरफ छोड़े, साथ ही शरीर का संतुलन बना ले।
  6. फिर टांगों को उठाते हुए हलासन की स्थिति में आये और घुटनो को नीचे की ओर लाये।
  7. यह जब तक करना है जब तक आपके घुटनो से दोनों कान बंद न हो जाए-
  8. अपनी नजरे नाक पर रखे, यदि ऐसा करने में आपको कठिनाई आ रही है तो संतुलन बनाये रखने के लिए नाभि को भी देख सकते है।
  9. यदि आपके कंधो में लचीलापन है तो हांथो को पीछे ले जाए और जोड़ ले।
  10. यदि आपके कंधो में लचीलापन है तो हांथो को पीछे ले जाए और जोड़ ले।
  11. और अगर इसे करने में भी कठिनाई हो रही हो तो हांथो को इस तरह रखे की पीठ को सहारा मिल सके।
  12. अपनी क्षमता के अनुसार 60 से 90 सेकंड तक इस मुद्रा में रहे। इसके बाद अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाये।

कर्णपीड़ासन को करने के लाभ

  1. यह आसन पेट के अंगो और थायरॉइड ग्रथि को उत्तेजित करता है।
  2. कर्णपीड़ासन को नियमित करने से दिमाग शांत रहता है।
  3. कर्णपीड़ासन उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।
  4. इस आसन द्वारा कंधो और रीढ़ की हड्डी में खिचाव होता है।
  5. जो बहुत तनावपूर्ण माहौल में रहता है उसे यह आसन जरूर करना चाहिए।
  6. यह आसन फेफड़े को शक्ति देता है और अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।

कर्णपीड़ासन के समय सावधानियां

  1. इस आसन को अपनी शारीरिक क्षमता से ज्यादा नहीं करना चाहिए।
  2. शुरुआत में यह आसन थोड़ा कठिन है इसलिए किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही करे।

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