मुस्लिम सुधार आंदोलन-Muslim Reform Movement

19वीं शताब्दी के नव जागरण में कई मुस्लिम सुधार आंदोलन हुए। यद्यपि हिन्दुओं की अपेक्षा मुस्लिमों में नव जागरण का प्रभाव देर हुआ। तथापि इन्होंने समय समय पर अपने समाज में सुधार तथा शिक्षा के प्रसार के लिए कई आंदोलन चलाये। इनके ये सामाजिक सुधार आंदोलन धार्मिक हो जाया करते थे।

 

जहाँ पश्चिमी संस्कृति के प्रति हिन्दुओं की प्रारम्भिक प्रतिक्रिया जिज्ञासा की थी वहीं मुस्लिमों की प्रारम्भिक प्रतिक्रिया अपने आप को पश्चिमी प्रभाव से बचाने की थी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मुस्लिम धर्म सुधारकों ने कई आंदोलन चलाये, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं।

1-वहाबी आन्दोलन

वहाबी आंदोलन 1828 से शुरू होकर 1870 ई. तक चला। पाश्चात्य प्रभावों के विरुद्ध मुस्लिम समाज में सर्वप्रथम जो प्रतिक्रिया हुई उसे वहाबी आंदोलन या वलीउल्लाह आन्दोलन नाम से जाना जाता है।

यह एक पुनर्जागरण आंदोलन था। भारत में वहाबी आन्दोलन ईरान से प्रेरित होकर चलाया गया। इसके द्वारा इस्लाम धर्म की पवित्रता को बचाये रखने का प्रयास किया गया।

अपने प्रारम्भिक दिनों में यह आंदोलन पंजाब में सिक्ख सरकार के विरुद्ध चलाया गया। परन्तु 1849 ई. में अंग्रेजी साम्राज्य में पंजाब के विलय के उपरान्त अंग्रेजों के विरुद्ध हो गया। इस आन्दोलन को भारत में सबसे ज्यादा प्रचारित करने का श्रेय सैयद अहमद बरेलवी एवं हाजी मौलवी मुहम्मद को दिया जाता है।

सामाजिक सुधार आंदोलन

वहाबी आन्दोलन को 1870 ई. में दबा दिया गया। इसका मुख्य केन्द्र पटना था। पूर्वी भारत में इसके मुख्य नेता शेख वरामत अली और हाजी शरीयतउल्ला थे।

2-अलीगढ़ आंदोलन

अलीगढ़ आन्दोलन के प्रवर्तक सर सैय्यद अहमद खां थे। इस आंदोलन की शुरूआत 1875 ई. में अलीगढ़ में हुई।

अलीगढ़ आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य “आधुनिक विचारों एवं पाश्चात्य शिक्षा द्वारा मुस्लिमों की स्थिति को सुधारना था।” अलीगढ़ आन्दोलन कांग्रेस विरोधी था। क्योंकि सर सैय्यद अहमद खां को आशंका थी कि कालान्तर में यह संस्था मात्र हिन्दुओं की संस्था होकर रह जायेगी।

1888 ई. में सर सैय्यद अहमद खां ने कांग्रेस के विरोध में बनारस में राजा शिवप्रसाद के सहयोग से “यूनाइटेड इण्डियन पैट्रियाटिक एसोसिएशन” का गठन किया। अलीगढ़ आंदोलन से जुड़े अन्य प्रमुख नेता चिराग अली, नजीर अहमद, अल्ताफ हुसैन अली, मौलाना शिबली नोमानी आदि थे।

1857 ई. के महान विद्रोह के बाद सरकार की यह धारणा बन गयी कि भारत में ब्रिटिश राज के स्थायित्व के लिए मुसलमानों को अंग्रेजों के पक्ष में करना होगा। इसी परिपेक्ष में 1870 ई. में विलियम हण्टर ने अपनी पुस्तक “इण्डियन मुसलमान” में ब्रिटिश सरकार को मुसलमानों से समझौता करने का सुझाव दिया, जिससे उन्हें अपनी तरफ मिलाया जा सके।

मुसलमानों का एक वर्ग जिसके नेता सर सैय्यद अहमद खां थे, सरकार के इस संरक्षण भरे रुख को स्वीकार करने के लिए उद्यत था। अतः अंग्रेजों ने सर सैय्यद अहमद खां को अनेक रियासतें देकर अपने पक्ष में कर लिया।

सर सैय्यद अहमद खां

19वीं शताब्दी के मुस्लिम सुधारकों में सर सैय्यद अहमद खां का नाम विशेष महत्व रखता है। इनका जन्म 17 अक्टूबर 1817 ई. में दिल्ली में हुआ था।

1857 के विद्रोह के समय सर सैय्यद अहमद खां कम्पनी की न्यायिक सेवा में थे तथा कम्पनी के प्रति पूर्ण राजभक्त रहे। इन्होंने अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से मुसलमानों के दृष्टिकोण को आधुनिक बनाने तथा मुस्लिम समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया।

निम्न जातीय आंदोलन

सैय्यद अहमद खां ने अपने विचारों का प्रचार करने के लिए 1870 ई. में “तहजीब उल अखलाख” नामक फारसी पत्रिका निकाली। अंग्रेजों के पक्षकार होने के कारण “राजभक्त मुसलमान” पत्रिका का भी प्रकाशन किया। इन्होंने 1857 के विद्रोह पर “असबाब-ए-बगावत-ए-हिन्द” नामक पुस्तक लिखी तथा गाजीपुर में एक साइन्टिफिक सोसायटी की स्थापना की।

सैय्यद अहमद खां ने शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए सर्वप्रथम 24 मई 1875 ई. में महारानी विक्टोरिया की वर्षगांठ पर “अलीगढ़ स्कूल” की स्थापना की। जिसे 8 जनवरी 1877 में “मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएन्टल कॉलेज” नाम दिया गया। इस कॉलेज का शिलान्यास “लार्ड लिटन” द्वारा किया गया था तथा लार्ड म्योर द्वारा इसे भूमि प्रदान की गई थी। इस कॉलेज के प्रथम प्रिंसिपल “थियोडोर बैक” थे। 1920 में इसे “अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय” में परिवर्तित कर दिया गया।

सैय्यद अहमद खां ने मुस्लिम समुदाय को आधुनिक बनाने एवं इस्लाम में व्याप्त बुराइयों को दूर करने का प्रयत्न किया। “पीरी मुरादी प्रथा” एवं दास प्रथा को समाप्त करने का प्रयत्न किया। (पीरी मुरादी प्रथा-पीर लोग अपने शिष्यों को कुछ रहस्य मयी शब्द देकर गुरु बन जाते थे और उनसे दासों जैसी सेवा लेते थे।) सैय्यद अहमद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य “कुरान पर टीका” लिखना था।

3-अहमदिया आंदोलन

अहमदिया आन्दोलन की स्थापना मिर्जा गुलाम अहमद ने 1889 ई. में गुरुदासपुर (पंजाब) के कादिया नामक स्थान पर की थी। इसका उद्देश्य मुसलमानों में इस्लाम के सच्चे स्वरूप को बहाल करना एवं मुस्लिमों में आधुनिक औद्योगिक और तकनीकी प्रगति की धार्मिक मान्यता देना था। इस आन्दोलन को “कादियानी आन्दोलन” भी कहा जाता है।

इस आन्दोलन के संस्थापक “मिर्जा गुलाम अहमद” का जन्म 1835 ई. में गुरूदासपुर में हुआ था। इन्होंने अपने आप को “ईश्वर का पैगम्बर” बताया।

अहमदिया आन्दोलन उदारवादी सिद्धान्तों पर आधारित था, जो मूलतः इस्लाम धर्म का ही एक आंतरिक विद्रोह था। इन्होंने मुस्लिमों के “जेहाद” का विरोध किया तथा स्वयं को पुनर्जागरण वाहक कहा। मिर्जा गुलाम अहमद ने अपनी पुस्तक “बराहीन-ए-अहमदिया” में अपने सिद्धान्तों की व्याख्या की।

4-देवबन्द आन्दोलन

देवबन्द आन्दोलन एक पुनर्जागरण आन्दोलन था। जिसका उद्देश्य कुरान तथा हदीस की शिक्षा का प्रचार प्रसार करना एवं विदेशी शासकों के विरुद्ध “जिहाद” की भावना को जाग्रत रखना था।

सन्यासी विद्रोह

इस आन्दोलन का प्रारम्भ उलेमा मुहम्मद कासिम ननौत्वी तथा राशिद अहमद गंगोही के नेतृत्व में 1866 ई. में सहारनपुर के देवबन्द नामक स्थान पर “दारुल उलूम” की स्थापना के साथ किया गया।

इस विद्यालय में विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी अथवा सांसारिक सुख के लिए नहीं बल्कि इस्लाम धर्म को फैलाने के लिए शिक्षित किया जाता था।

देवबन्द विद्यालय का उद्देश्य इस्लाम धर्म के प्रचार प्रसार के लिए भावी नेताओं को तैयार करना था। अतः इसमें भारत के विभिन्न भागों व विदेश से मुस्लिम विद्यार्थी आने लगे। राजनीतिक क्षेत्र में इस संस्था ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का समर्थन किया।

1888 ई. में देवबन्द के उलेमाओं ने सैय्यद अहमद खां द्वारा बनाई गयी “यूनाइटेड इण्डियन पैट्रियाटिक एसोसिएशन” तथा “मुस्लिम एंग्लो-ओरिएण्टल सभा” के विरुद्ध फतवा (धार्मिक आज्ञा) जारी किया।

इस संस्था के नेता ‘महमूद-उल-हसन’ ने संस्था के धार्मिक विचारों को राजनीतिक, बौद्धिक रंग देने का प्रयास किया।

IMPORTANT QUESTIONS

Question. शिबली नोमानी ने मुसलमानों के लिए किस शिक्षा पर बल दिया?

Answer. पाश्चात्य शिक्षा पर

Question. नदवतुल-उलूम मदरसा की स्थापना किसने की?

Answer. शिबली नोमानी ने

Question. 1864 ई. में गाजीपुर में साइन्टिफिक सोसाइटी की स्थापना किसने की?

Answer. सर सैय्यद अहमद खां ने

Question. निरंकारी आन्दोलन की शुरुआत किसने की?

Answer. दयाल साहिब ने

Question. बंगाल में मुस्लिम पुनर्जागरण का पिता किसे कहा जाता है?

Answer. अब्दुल लतीफ को

Question. तैय्यूनी आन्दोलन किसके द्वारा चलाया गया?

Answer. करामत अली जौनपुरी द्वारा

Question. सर्वप्रथम द्विराष्ट्र के सिद्धान्त की बात किसने की थी?

Answer. मुहम्मद इकबाल ने

Question. राष्ट्रवादी अहरार आन्दोलन किसने प्रारम्भ किया था?

Answer. मजहर उल हक ने

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