Sarvanam ki paribhasha (सर्वनाम की परिभाषा)

“वह शब्द जो संज्ञा के बदले में आए उसे सर्वनाम कहते हैं।” अर्थात जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर किया जाता है, उन्हें सर्वनाम कहते है।

Sarvanam ki paribhasha
सर्वनाम

Sarvanam Ki Paribhahsa

सर्वनाम दो शब्दों के योग से बना है सर्व + नाम , अर्थात जो नाम सब के स्थान पर प्रयुक्त हो उसे सर्वनाम कहा जाता है।
सर्वनाम उदाहरण से समझिये –

  • मोहन 11वीं कक्षा में पढ़ता है।
  • मोहन स्कूल जा रहा है।
  • मोहन के पिताजी पुलिस हैं।
  • मोहन की माताजी डॉक्टर है।
  • मोहन की बहन खाना बना रही है।

जैसे – मैं , तुम , हम , वह , आप , उसका , उसकी , वह आदि।

इसके शाब्दिक अर्थ को समझें तो यही प्रतीत होता है कि “ सबका नाम ” यह शब्द किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा प्रयुक्त ना होकर सबके द्वारा प्रयुक्त होते हैं। किसी एक का नाम ना होकर सबका नाम होते हैं। मैं का प्रयोग सभी व्यक्ति अपने लिए करते हैं। अतः मैं किसी एक का नाम ना होकर सबका नाम है।

सर्वनाम और उसके भेद – कितने भेद हैं ?

हिन्दी व्याकरण में सर्वनाम के 6 भेद हैं-

  1. पुरुषवाचक
  2. निश्चयवाचक
  3. अनिश्चयवाचक
  4. संबंधवाचक
  5. प्रश्नवाचक
  6. निजवाचक
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Sarvanam Ki Paribhahsa

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