अलंकार और उसके भेद परिभाषा सहित अलंकार का शाब्दिक अर्थ
जिस प्रकार स्त्रियाँ स्वयं को सजाने के लिए आभूषणों का उपयोग करती हैं, उसी प्रकार कवि या लेखक भाषा को शब्दों या उनके अर्थो से सजाते है | वे शब्द या अर्थ जिससे किसी वाक्य को सजाया जाता है अलंकार कहलाता है।
अलंकार के संबंध में प्रथम काव्य शास्त्रीय परिभाषा आचार्य दंडी की है-काव्यशोभाकरान धर्मान अलंकारन प्रचक्षते।
अर्थात हम कह सकते हैं कि "काव्य की शोभा कारक धर्म अलंकार है"।
अलंकार वाणी के श्रृंगार हैं, भाषा और साहित्य का सारा कार्य -व्यापर शब्द और अर्थ पर ही निर्भर है, अतएव विशिष्ट शब्द चमत्कार अथवा अर्थ वैशिष्ट्य ही कथन के संदर्भ की अभिवृद्धि करता है।
अलंकार का शाब्दिक अर्थ- (Alankar Word's Meaning) जिस प्रकार स्त्रियाँ स्वयं को सजाने के लिए आभूषणों का उपयोग करती हैं, उसी प्रकार कवि या लेखक भाषा को शब्दों या उनके अर्थो से सजाते है | वे शब्द या अर्थ जिससे किसी वाक्य को सजाया जाता है अलंकार कहलाता है।
अलंकार पहचानने के महत्वपूर्ण टिप्स- Important Tips for Identifying Alankar
काव्य में अलंकारों के प्रयोग से सौंदर्य एवं चमत्कार आ जाता है।
अलंकारों के दो मुख्य भेद हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार।
अनुप्रास में व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है।
यमक में शब्द जितनी बार आता है उतने ही अर्थ निकलते हैं।
श्लेष में शब्द एक ही बार आता है पर अर्थ अनेक निकलते हैं।
उपमा और रूपक में उपमान उपमेय का मेल होता है यह समानता दिखाते हैं। उत्प्रेक्षा में संभावना प्रकट की जाती।
अतिश्योक्ति में बात को बढ़ा चढ़ाकर कहा जाता है।
अन्योक्ति किसी की और अप्रत्यक्ष संकेत होता है।
मानवीकरण में बेजान पर चेतना का आरोप किया जाता है।
१-अनुप्रास अलंकार
२-यमक अलंकार
३-पुनरुक्ति अलंकार
४-विप्सा अलंकार
५-वक्रोक्ति अलंकार
६-शलेष अलंकार
2-यमक अलंकार (Yamak Alankar)
3-पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar)
4-विप्सा अलंकार Vipsa Alankar)
5-वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar)
6-श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)
२-वृत्यानुप्रास अलंकार
३-लाटानुप्रास अलंकार
४-अन्त्यानुप्रास अलंकार
५-श्रुत्यानुप्रास अलंकार
जैसे-
चौदहवीं का चांद हो, या आफताब हो
जो भी हो तुम खुदा की कसम, लाजवाब हो।
जैसे-
चन्दन ने चमेली को चम्मच से चटनी चटाई।
जैसे-
धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना धीरे धीरे दिल को चुराना।
जैसे-
तुझे देखा तो यह जाना सनम
प्यार होता है दीवाना सनम।
जैसे-
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे,
खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख्वाब।
जैसे :- कनक कनक ते सौगुनी , मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराए नर , वा पाये बौराये।
कुर्बान मेरी जान, जान तुझ पर कुर्बान हो जाऊंगा
जैसे-
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।
Alankar In Hindi
जैसे-
मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।
जैसे-
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।
.
1-सागर -सा गंभीर ह्रदय हो ,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
2-पीपर पात सरिस मन डोला।
3-चाँद जैसे मुखरे पर बिंदियाँ सितारा।
4-नागिन सा रूप है तेरा।
इसके चार अंग है।
उपमेय- जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जा रही हो।
उपमान-जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जाए।
सामान्य धर्म- वह गुण जिससे दोनों व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जाए।
वाचक शब्द- वह शब्द जो तुलना करने के लिए उपयोग हो रहा हो, जैसे -सा,सी,से,सरिस,ते आदि।
1-चरण कमल बन्दों हरिराई।
2-सब प्राणियों के मत्त मनोमयूर अहा नचा रहा।
3-अपरस रहत स्नेह तगा तैं, प्रीति-नदी में पाऊं न बोरयों।
4-मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों।
5-उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत- सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।
जैसे -
उसकाल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।
मानों हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।
यहाँ मानो शब्द का प्रयोग हुआ है, और तन (उपमेय) में उपमान (सागर) की संभावना प्रकट की गई है।
पहचान- जहां एक व्यक्ति या वस्तु के समान(एक जैसे) होने की संभावना या कल्पना व्यक्त की जाए।कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
1-सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।
2-पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के
3-कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
पहचान- जहां किसी व्यक्ति या वस्तु को बढ़ा चढ़ाकर वर्णन किया जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे उस पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।
हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग।
लंका सिगरी जल गए, गए निशाचर भाग। ।
जहाँ पर काव्य में जड़ में चेतन का आरोप होता है वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है अथार्त जहाँ जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं और क्रियांओं का आरोप हो वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है।
जैसे-
बीती विभावरी जागरी , अम्बर पनघट में डुबो रही तास घट उषा नगरी।
जैसे -
अलंकार
अलंकार से तात्पर्य- What is Alankar-
अलंकार में "अलम" और "कार" दो शब्द है। "अलम" का अर्थ है भूषण या सजावट। अर्थात जो अलंकृत या घोषित करें वह अलंकार है। स्त्रियां अपने साज श्रृंगार के लिए आभूषणों का प्रयोग करती हैं, अतएव आभूषण अलंकार कहलाते हैं। ठीक इसी प्रकार कविता कामिनी अपने श्रृंगार और सजावट के लिए जिन तत्वों का उपयोग प्रयोग करती है वह अलंकार कहलाते हैं।अलंकार के संबंध में प्रथम काव्य शास्त्रीय परिभाषा आचार्य दंडी की है-काव्यशोभाकरान धर्मान अलंकारन प्रचक्षते।
अर्थात हम कह सकते हैं कि "काव्य की शोभा कारक धर्म अलंकार है"।
अलंकार की परिभाषा-Definition of Alankar-
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय) को अलंकार कहते हैं।अलंकार वाणी के श्रृंगार हैं, भाषा और साहित्य का सारा कार्य -व्यापर शब्द और अर्थ पर ही निर्भर है, अतएव विशिष्ट शब्द चमत्कार अथवा अर्थ वैशिष्ट्य ही कथन के संदर्भ की अभिवृद्धि करता है।
अलंकार का शाब्दिक अर्थ- (Alankar Word's Meaning) जिस प्रकार स्त्रियाँ स्वयं को सजाने के लिए आभूषणों का उपयोग करती हैं, उसी प्रकार कवि या लेखक भाषा को शब्दों या उनके अर्थो से सजाते है | वे शब्द या अर्थ जिससे किसी वाक्य को सजाया जाता है अलंकार कहलाता है।
अलंकार पहचानने के महत्वपूर्ण टिप्स- Important Tips for Identifying Alankar
काव्य में अलंकारों के प्रयोग से सौंदर्य एवं चमत्कार आ जाता है।
अलंकारों के दो मुख्य भेद हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार।
अनुप्रास में व्यंजन वर्ण की आवृत्ति होती है।
यमक में शब्द जितनी बार आता है उतने ही अर्थ निकलते हैं।
श्लेष में शब्द एक ही बार आता है पर अर्थ अनेक निकलते हैं।
उपमा और रूपक में उपमान उपमेय का मेल होता है यह समानता दिखाते हैं। उत्प्रेक्षा में संभावना प्रकट की जाती।
अतिश्योक्ति में बात को बढ़ा चढ़ाकर कहा जाता है।
अन्योक्ति किसी की और अप्रत्यक्ष संकेत होता है।
मानवीकरण में बेजान पर चेतना का आरोप किया जाता है।
Alankar Ke Bhed अलंकार के भेद -
A -शब्दालंकार-
१-अनुप्रास अलंकार
२-यमक अलंकार
३-पुनरुक्ति अलंकार
४-विप्सा अलंकार
५-वक्रोक्ति अलंकार
६-शलेष अलंकार
B-अर्थालंकार-
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- संदेह अलंकार
- अतिश्योक्ति अलंकार
- उपमेयोपमा अलंकार
- द्रष्टान्त अलंकार
- अनन्वय अलंकार
- भ्रांतिमान अलंकार
- प्रतीप अलंकार
- व्यतिरेक अलंकार
- विभावना अलंकार
- दीपक अलंकार
- विशेषोक्ति अलंकार
- अर्थान्तरन्यास अलंकार
- अन्योक्ति अलंकार
- अपहृति अलंकार
- विरोधाभाष अलंकार
- असंगति अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
- उल्लेख अलंकार
- काव्यलिंग अलंकार
- स्वभावोती अलंकार
C-उभयालंकार-
Sabdalankar शब्दालंकार
जहां शब्दों के कारण शोभा बढ़ जाए वहां शब्दाअलंकार होता है।अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार समाप्त हो जाये वहाँ शब्दालंकार होता है।शब्दालंकार के भेद-Differentiation of Sabdalankar
1-अनुप्रास अलंकार (Rupak Alankar)2-यमक अलंकार (Yamak Alankar)
3-पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar)
4-विप्सा अलंकार Vipsa Alankar)
5-वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar)
6-श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)
1-अनुप्रास अलंकार- Anupras Alankar
अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है – अनु + प्रास जहाँ पर अनु का अर्थ है- बार -बार और प्रास का अर्थ होता है – वर्ण, अर्थात जहां एक वर्ण या अक्षर कई बार आए वहां अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar)होता है। जैसे- चंदन ने चमेली को चम्मच से चॉकलेट चटाई।Alankar In Hindi Vyakaran
अनुप्रास अलंकार के भेद- Anupras Alankar Ke Bhed
१-छेकानुप्रास अलंकार२-वृत्यानुप्रास अलंकार
३-लाटानुप्रास अलंकार
४-अन्त्यानुप्रास अलंकार
५-श्रुत्यानुप्रास अलंकार
१- छेकानुप्रास अलंकार
जहां पर एक वर्ण या अक्षर दो बार आए वहां छेकानुप्रास अलंकार होता है।जैसे-
चौदहवीं का चांद हो, या आफताब हो
जो भी हो तुम खुदा की कसम, लाजवाब हो।
२-वृत्यानुप्रास अलंकार
जहां पर एक वर्ण या अक्षर दो से ज्यादा बार आए वहां वृत्यानुप्रास अलंकार होता है।जैसे-
चन्दन ने चमेली को चम्मच से चटनी चटाई।
३-लाटानुप्रास अलंकार
जहां पर एक शब्द कई बार आए, पर उसका अर्थ एक ही हो, पर वाक्य का अर्थ बदल जाए वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है।जैसे-
धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना धीरे धीरे दिल को चुराना।
४-अन्त्यानुप्रास अलंकार
जहां पर पंक्ति के अंत के वर्ण समान हो वहां अंत्यानुप्रास अलंकार होता है।जैसे-
तुझे देखा तो यह जाना सनम
प्यार होता है दीवाना सनम।
५-श्रुत्यानुप्रास अलंकार
जहां पर वर्णमाला के किसी एक वर्ग के वर्ण कई बार आए वहां पर श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है।जैसे-
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे,
खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख्वाब।
2-यमक अलंकार- Yamak Alankar
जहां पर एक शब्द कई बार आए और उनका अर्थ अलग-अलग है यमक अलंकार (Yamak Alankar) कहलाता है।जैसे :- कनक कनक ते सौगुनी , मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराए नर , वा पाये बौराये।
कुर्बान मेरी जान, जान तुझ पर कुर्बान हो जाऊंगा
Shlesh alankaar श्लेष अलंकार-
जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आये परन्तु उसके अर्थ अलग अलग निकलें वहाँ पर श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar) होता है।जैसे-
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न उबरै मोती मानस चून।।
4-Punarukti alankaar (पुनरुक्ति अलंकार)
पुनरुक्ति अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है, पुन: +उक्ति। जब कोई शब्द दो बार दोहराया जाता है वहाँ पर पुनरुक्ति अलंकार होता है।Alankar In Hindi
5-vipsa alankaar (विप्सा अलंकार)
जब आदर, हर्ष, शोक, विस्मयादिबोधक आदि भावों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति को ही विप्सा अलंकार (Vipsa Alankar) कहते है।जैसे-
मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।
6-Vakrokti alankaar (वक्रोक्ति अलंकार)
जहाँ पर वक्ता के द्वारा बोले गए शब्दों का श्रोता अलग अर्थ निकाले उसे वक्रोक्ति अलंकार (Vakrokti Alankar) कहते है।जैसे-
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।
.
Arthalankar अर्थालंकार
जब किसी वाक्य या छंद को अर्थो के आधार पर सजाया जाता है तो ऐसे अलंकार को अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकार निम्न प्रकार के होते हैं।Upma Alankar उपमा अलंकार-
जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना या समानता का वर्णन किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु के स्वाभाव, स्थिति, रूप और गुण से की जाय तो वहाँ उपमा अलंकार होता है।जैसे - शीला के गाल चंपा जैसे गोरे हैं।उपमा अलंकार के उदाहरण-
1-सागर -सा गंभीर ह्रदय हो ,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
2-पीपर पात सरिस मन डोला।
3-चाँद जैसे मुखरे पर बिंदियाँ सितारा।
4-नागिन सा रूप है तेरा।
इसके चार अंग है।
उपमेय- जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जा रही हो।
उपमान-जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जाए।
सामान्य धर्म- वह गुण जिससे दोनों व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जाए।
वाचक शब्द- वह शब्द जो तुलना करने के लिए उपयोग हो रहा हो, जैसे -सा,सी,से,सरिस,ते आदि।
Rupak Alankar रूपक अलंकार-
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है। अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।जैसे- ये रेशमी जुल्फें यह शरबती आंखें, इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी।उदाहरण-
1-चरण कमल बन्दों हरिराई।
2-सब प्राणियों के मत्त मनोमयूर अहा नचा रहा।
3-अपरस रहत स्नेह तगा तैं, प्रीति-नदी में पाऊं न बोरयों।
4-मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों।
5-उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत- सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।
Utpreksha Alankar उत्प्रेक्षा अलंकार-
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाये वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसमें मानों, मनु, जानों, जनहु आदि शब्द लगे रहते है।जैसे -
उसकाल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।
मानों हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।
यहाँ मानो शब्द का प्रयोग हुआ है, और तन (उपमेय) में उपमान (सागर) की संभावना प्रकट की गई है।
पहचान- जहां एक व्यक्ति या वस्तु के समान(एक जैसे) होने की संभावना या कल्पना व्यक्त की जाए।कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
उदाहरण-
1-सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।
2-पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के
3-कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
Atishyokti Alankaar अतिश्योक्ति अलंकार-
जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन बहुत बढ़ा चढ़ा कर किया जाता है वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।पहचान- जहां किसी व्यक्ति या वस्तु को बढ़ा चढ़ाकर वर्णन किया जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा कैसे उतरे उस पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।
हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग।
लंका सिगरी जल गए, गए निशाचर भाग। ।
Maanaveekaran Alankar मानवीकरण अलंकार
जहाँ पर काव्य में जड़ में चेतन का आरोप होता है वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है अथार्त जहाँ जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं और क्रियांओं का आरोप हो वहाँ पर मानवीकरण अलंकार होता है।
जैसे-
बीती विभावरी जागरी , अम्बर पनघट में डुबो रही तास घट उषा नगरी।
Anyokti alankaar अन्योक्ति अलंकार
जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है |जैसे -
फूलों के आस-पास रहते हैं, फिर भी काँटे उदास रहते हैं