अन्योक्ति अलंकार
अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा-
जहां अप्रस्तुत के द्वारा प्रस्तुत का व्यंग्यात्मक कथन किया जाए, वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण-
1.नहिं पराग नहिं मधुर मधु,
नहिं विकास इहि काल।
अली कली ही सो बध्यो ,
आगे कौन हवाल।
2.
इस पंक्ति में भौरे को प्रताड़ित करने के बहाने कवि ने राजा जयसिंह की काम लोलुपता पर व्यंग किया है। अतएव यहां पर अन्योक्ति अलंकार होगा।
3.
जिन जिन देखे वे कुसुम,
गई सुवीति बहार।
अब अति रही गुलाब में,
अपत कटीली डार।।
इस दोहे में अलि (भंवरे) के माध्यम से कवि ने किसी गुणवान अथवा कवि की ओर संकेत किया है जिसका आश्रय दाता अब पतझड़ के गुलाब की तरह पत्र पुष्प हीन (धन हीन) हो गया है। यहां गुलाब और भंवरे के माध्यम से आश्रित कवि और आश्रय दाता का वर्णन किया गया है।
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