Hasya Ras (हास्य रस)
इसका स्थाई भाव हास होता है इसके अंतर्गत वेशभूषा, वाणी आदि कि विकृति को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है उससे हास की उत्पत्ति होती है इसे ही हास्य रस कहते हैं.
उदाहरण:
Hasya Ras ke Udaharan
1.विन्ध्य के वासी उदासी तपो व्रत धारी महा बिनु नारि दुखारे
गौतम तीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनि वृन्द सुखारे
2.
सीरा पर गंगा हसै, भुजानि में भुजंगा हसै
हास ही को दंगा भयो, नंगा के विवाह में
3.
ह्रै सिला सब चन्द्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहारे
कीन्ही भली रघुनायक जू! करुना करि कानन को पगु धारे
रस के प्रकार/भेद
क्रम | रस का प्रकार | स्थायी भाव |
---|---|---|
1 | श्रृंगार रस | रति |
2 | हास्य रस | हास |
3 | करुण रस | शोक |
4 | रौद्र रस | क्रोध |
5 | वीर रस | उत्साह |
6 | भयानक रस | भय |
7 | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
8 | अद्भुत रस | विस्मय |
9 | शांत रस | निर्वेद |
10 | वात्सल्य रस | वत्सलता |
11 | भक्ति रस | अनुराग |
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