गुण संधि की परिभाषा
जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।गुण संधि के कुछ उदाहरण
- महा + ईश : महेश (आ + ई = ए)
- नर + ईश : नरेश (अ + ई = ए)
- नर + इंद्र : नरेन्द्र (अ + इ = ए)
- ज्ञान + उपदेश : ज्ञानोपदेश (अ + उ = ओ)
- देव + ऋषि : देवर्षि (अ + ऋ = अर्)
- ग्राम + उत्थान : ग्रामोत्थान (अ + उ = ओ)
- सर्व + उदय : सर्वोदय (अ + उ = ओ)
गुण संधि के कुछ अन्य उदाहरण
- जीर्ण + उद्धार : जीर्णोद्वार (अ + उ = ओ)
- महा + उत्सव : महोत्सव (आ + उ = ओ)
- आत्मा + उत्सर्ग : आत्मोत्सर्ग (आ + उ = ओ)
- धन + उपार्जन : धनोपार्जन (अ + उ = ओ)
- सुर + इंद्र : सुरेन्द्र (अ + इ = ए)
- महा + ऋषि : महर्षि (आ + ऋ = अर)
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