प्राणायाम क्या है?
प्राण वह शक्ति है जो हमारे शरीर को ज़िंदा रखती है और हमारे मन को शक्ति देती है। तो 'प्राण' से हमारी जीवन शक्ति का उल्लेख होता है और 'आयाम' से नियमित करना। इसलिए प्राणायाम का अर्थ हुआ खुद की जीवन शक्ति को नियमित करना।प्राण का विवरण: प्राण शरीर की हज़ार सूक्ष्म ऊर्जा ग्रंथियों ( जिन्हें नाड़ि कहते है ) और ऊर्जा के केंद्रों (जिन्हें चक्र कहते है ) से गुज़रती है और शरीर के चारो ओर आभामंडल बनाती है। प्राणशक्ति की मात्रा और गुणवत्ता मनुश्या की मनोस्थिति निर्धारित करते है।
अगर प्राणशक्ति बलवान है और उसका प्रवाह निरंतर और सुस्थिर है तो मन सुखी, शांत और उत्साहपूर्ण रहता है। पर ज्ञान के आभाव में और सांस पर ध्यान न रखने की वजह से मनुष्य की नाड़िया, प्राण के प्रवाह में रूकावट पैदा कर सकती है। ऐसी स्थिति मन में आशंका, चिंताएं, और डर उत्पन्न करती है। हर तकलीफ पहले सूक्ष्म में उत्पन्न होती है। इसलिए कोई बिमारी पहले प्राणशक्ति में उत्पन्न होती है।
प्राणायाम के फायदे
- प्राण शक्ति की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाता है।
- रुकी हुई नाड़िया और चक्रों को खोल देता है। आपका आभामंडल फैलता है।
- मानव को शक्तिशाली और उत्साहपूर्ण बनाता है।
- मन में स्पष्टता और शरीर में अच्छी सेहत आती है।
- शरीर, मन, और आत्मा में तालमेल बनता है।
प्राणायाम के प्रकार और उपयोग
प्राचीन भारत के ऋषि मुनियों ने कुछ ऐसी सांस लेने की प्रक्रियाएं ढूंढी जो शरीर और मन को तनाव से मुक्त करती है। इन प्रक्रियाओं को दिन में किसी भी वक़्त खाली पेट कर सकते है। देखते है कौन सी प्रक्रिया किस परिस्थिति में उपयोगी है :- अगर आपका मन किसी बात को लेके विचलित हो या आपका किसी की बात से अपना मन हठा ही नहीं पा रहे हो तोह आपको भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए। यह प्रक्रिया उक्त रक्तचाप से पीड़ित लोगो के लिए बहुत फायेदमंद है।
- नाड़ियों की रुकावटों को खोलने हेतु कपालभाति प्राणायाम उपयुक्त है। यह प्रक्रिया शरीर के विषहरण के लिए भी उपयुक्त है।
- अगर आप कम ऊर्जावान महसूस कर रहे है तो भस्त्रिका प्राणायाम के तीन दौर करे - आप खुद को तुरंत शक्ति से भरपूर पाएंगे।
ध्यान दे - प्राणायाम हमारी सुक्ष्म जीवन शक्ति से तालुक रखती है। इसलिए इनको वैसे ही करना चाहिए जैसे आपकी योग कक्षा में सिखाया गया हो। इनके साथ प्रयोग करना उचित नहीं है।