ऊर्ध्व सर्वांगासन (Urdhva Sarvangasana)
सर्व-अंग एवं आसन अर्थात सर्वांगासम। इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं।
सर्वांगासम में सावधानी
- कोहनियाँ भूमि पर टिकी हुई हों और पैरों को मिलाकर सीधा रखें।
- पंजे ऊपर की ओर तने हुए एवं आँखें बंद हों अथवा पैर के अँगूठों पर दॄष्टि रखें।
- जिन लोगों को गर्दन या रीढ़ में शिकायत हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
सर्वांगासम के लाभ
- थायराइड एवं पिच्युटरी ग्लैंड के मुख्य रूप से क्रियाशील होने से यह कद वृद्धि में लाभदायक है।
- दमा, मोटापा, दुर्बलता एवं थकानादि विकार दूर होते है।
- इस आसन का पूरक आसन मत्स्यासन है, अतः शवासन में विश्राम से पूर्व मत्स्यासन करने से इस आसन से अधिक लाभ प्राप्त होते हैं।
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योग के प्रमुख आसन और उनके लाभ, Yoga Asanas in Hindi।