अर्थ की अवधारणा
अर्थ का स्वरुप
अर्थ शब्द की अन्तरंग शक्ति का नाम है ,क्योंकि शब्द तो शब्द से बहिर्भूत होता है ,जबकि अर्थ अबहिर्भूत या अपृथक होता है। पतंजलि के अनुसार – शब्द अपने अपने अर्थ का बोध कराने के लिए होते हैं। परन्तु जिस जिस अर्थ के बोध के लिए शब्द का प्रयोग होता है। वही उसका अर्थ होता है।
अर्थ की प्रतीति
- आत्म अनुभव अथवा प्रत्यक्ष ज्ञान – मीठा ,खट्टा ,कड़वा ,सर्दी ,गर्मी ,शूल ,पीड़ा आदि शब्द के अर्थ व्यक्ति के अपने अनुभव पर आधारित है।
- पर अनुभव अथवा परोक्ष ज्ञान – जिन लोगों ने कभी मदिरा पान नहीं किया है ,उनके लिए उसकी मादकता पर अनुभव पर आधारित है।
अर्थ बोध के साधन
- समाज में प्रचलित व्यवहार से शब्दों के अर्थ का बोध हो जाता है। व्यक्ति समाज से ही भाषा सीखता है और उस व्यवहार से ही अर्थ ग्रहण सीखता है।
- अर्थ बोध में कोष का भी महत्व होता है।
- इसके द्वारा मूल प्रकृति और प्रत्यय को जानकारी को जाने के कारण शब्दों का अर्थ ज्ञात हो जाता है।
- कुछ क्लिष्ट शब्दों का अर्थ बोध उनकी व्याख्या किये जाने पर भी स्पष्ट होता है। यथा – लक्षणा,व्यंजना का अर्थ व्याख्या करने पर ही स्पष्ट हो सकता है।
- एक समान वस्तुओं में से किसी एक को देखकर दूसरी वस्तु के लिए प्रसिद्ध शब्द के अर्थ का बोध होता है।
शब्द और अर्थ का संबंध
शब्द को कुछ वैयाकरण नित्य नहीं मानते हैं उनकी दृष्टि में शब्द सदैव एक रूप में वर्तमान नहीं रहता है ,बोलने पर ही प्रकट होता है और फिर तुरंत ही नष्ट हो जाता है। अतः जब शब्द ही नित्य नहीं है तो फिर शब्द और अर्थ की नित्यता कैसे स्थिर रह सकती है। किन्तु ये तर्क शब्द की सार्थकता को नष्ट नहीं कर देते हैं। शब्द शून्य में अथवा मनुष्य के मस्तिष्क में सदैव वर्तमान रहता है और ध्वनियों के द्वारा आवश्यकता वह प्रत्यक्ष हो जाता है। शब्दों के रूप या अर्थ में विकार होने से इसके अस्तित्व में कोई बाधा नहीं होती है। शब्द में ध्वनि सम्बन्धी विकार आता रहता है और तजन्य उस पर जो अस्पष्टता का आरोप लोग कर लेते हैं ,वह अर्थ सम्बन्धी ही है। शब्द का अर्थ ही क्यों न बदल जाए लेकिन शब्द अर्थविहीन कभी नहीं होता है। शब्द और अर्थ एक ही आत्मा के दो रूप अथवा एक सिक्के के दोनों भाग समान कहे जा सकते हैं। जब किसी शब्द का उच्चारण किया जाता है तो श्रोता वक्ता के अभिप्राय से तादात्म्य स्थापित कर कथित भाव को समझता है। इस प्रकार शब्द ,अर्थ और ज्ञान का अटूट सम्बन्ध है।