न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम

यह हमारा दैनिक जीवन का अनुभव है कि पृथ्वी की सतह से ऊध्र्वाधरत: ऊपर की ओर फेंके
गए पिंड पुन: पृथ्वी पर लौट आते हैं। यदि किसी पिंड को कुछ ऊँचाई से भी गिराया जाए, तो
वह भी पृथ्वी की ओर गिरती है। इसी तरह वृक्षों की शाखाओं से पत्तियाँ एवं फल अलग होते
हैं, तो वह पृथ्वी की ओर गिरते हैं। ऐसा क्यों होता है? यह पत्तियों, अथवा फलों जैसी वस्तुओं
पर कार्यरत किसी बल के कारण होता है। इन वस्तुओं पर किस प्रकार का बल कार्य कर रहा
है? आइज़क न्यूटन पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने इस प्रश्न का जवाब दिया।

न्यूटन के बारे में एक बहुत ही रोचक कहानी है। यह कहा जाता है कि जब न्यूटन एक सेब
के पेड़ के नीचे बैठे थे, तब उन पर एक सेब गिरा। सेब के गिरने से न्यूटन के दिमाग में यह
प्रश्न उठा कि यह सेब नीचे ही क्यों गिरा? यदि सेब पर कोई बल कार्य कर रहा है, तो यह
त्वरित गति में होना चाहिए। आइए, इसे समझने का प्रयास करते हैं।

अपने हाथ में एक छोटे पत्थर को पकड़िए एवं उसे लगभग एक मीटर की ऊँचाई से छोड़िए।
इस पत्थर की पृथ्वी से टकराने के तुरन्त पहले की गति का अवलोकन कीजिए। अब, इसी पत्थर
को 5 मीटर की ऊँचाई से छोड़िए (जैसे- घर की पहली मंजिल से)। पृथ्वी से टकराने
से तुरन्त पहले की स्थिति में इसकी गति को पुन: ध्यान से देखिए। यह ध्यान रखिए कि पत्थर
को प्रत्येक स्थिति में केवल छोड़ना ही है, तथा इस पर धक्का अथवा बल नहीं लगाना है। दोनों
ही स्थितियों में पृथ्वी से टकराने से पूर्व पत्थर की गति की तुलना कीजिए। क्या दोनों ही स्थितियों
में पृथ्वी से टकराने से पूर्व पत्थर की गति समान होती है? किस स्थिति में पत्थर पृथ्वी से तेजी
से टकराता है? क्या आप उस बल को पहचान सकते हैं, जो पत्थर को त्वरित करता है?

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम
 विभिन्न ऊँचाइयों से गिरता हुआ पत्थर

इस में आपने यह देखा कि पृथ्वी के आकर्षण-बल के कारण पत्थर में त्वरण उत्पन्न
होता है। न्यूटन जानते थे कि पिंड पृथ्वी की ओर गुरुत्वीय-बल के कारण गिरते हैं। न्यूटन ने
आगे सोचा कि यदि पृथ्वी सेब अथवा पत्थर को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है, तो क्या
यह चन्द्रमा को भी आकर्षित कर सकती है? वह यह जानने के लिए भी उत्सुक थे कि क्या
यही बल ग्रहों को सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में चक्कर लगाने के लिए उत्तरदायी था। 

न्यूटन ने निष्कर्ष निकाला कि वृतीय कक्षा में चक्कर लगाने के लिए यह आवश्यक है कि पृथ्वी
द्वारा चन्द्रमा को लगातार आकर्षित किया जाय। इसी दिशा में तर्क करते हुए न्यूटन ने कहा
कि सूर्य एवं ग्रहों के बीच एक बल विद्यमान है।  वह बल ‘गुरुत्वाकर्षण-बल’ के नाम से जाना
जाता है। उन्होंने कहा कि गुरुत्वाकर्षण-बल ब्रह्माण्ड में सभी जगह विद्यमान हैं। ब्रह्माण्ड के सभी
पिंड एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। 
गुरुत्वाकर्षण-बल के बारे में एक रोचक तथ्य
यह है कि यह सदैव आकर्षण-बल ही होता है, चाहे पिंडों का आकार कुछ भी हो।

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण का नियम

अपने अवलोकनों के आधार पर न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के नियम को गणितीय-भाषा में व्यक्त
किया। उन्होंने इस नियम को इस प्रकार बताया- ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण, प्रत्येक दूसरे कण को एक बल द्वारा आकर्षित करता है। यह बल, उनके
द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता
है। यह बल, दोनों कणों को जोड़नेवाली रेखा के अनुदिश होता है। गणितीय रूप में,

m1m2
F ∝ ——-       
r2

जहाँ m1 एवं m2 दो कणों के द्रव्यमान हैं, जो एक-दूसरे से r दूरी पर स्थित हैं।
अथवा

m1m2
F ∝ G ——-       
r2

जहाँ G आनुपातिकता का एक स्थिरांक है, ओर इसे सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक कहते हैं। इसका
मान पृथ्वी पर सभी जगहों एवं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक समान है।

SI मात्रकों में, जहाँ m को किलाग्राम में, F को न्यूटन में तथा r को मीटर में मापा जाता है,
G का मान्य मान 6.67 × 10–11 Nm2kg–2 होता हैं। क्योंकि G का मान बहुत ही कम है, आप
यह समझ सकते हैं कि साधारण द्रव्यमानवाली वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरुत्वीय-बल अत्यन्त
दुर्बल होता है।

आइए, पता लगाते हैं कि आपके एवं अगली मेज़ पर बैठे आपके मित्र, जो कि आपसे 1 मीटर
की दूरी पर हैं, के बीच कितना आकर्षण-बल लग रहा है। माना कि आपका द्रव्यमान 50 kg
एवं आपके मित्र का द्रव्यमान 40 kg हो तो आकर्षण-बल का मान होगा –

 6.67 × 10 –11×40×40 
F = ——————–
1×1
= 13340 × 10–11
= 113.34 × 10–8 N

आप समझ पाएँगे यह एक अत्यन्त दुर्बल बल है। यह एक छोटे से कागज के टुकड़े द्वारा तराजू
के पलड़े पर लगनेवाले बल से 100 गुना दुर्बल है। गुरुत्वाकर्षण बल कितना दुर्बल-बल है, यह
आप तब महसूस कर सकते हैं जब आप पत्थर का एक छोटा टुकड़ा उठाते हैं या एक आवेशित
कंघी कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर उठाती है। लेकिन यदि किन्हीं दो वस्तुओं का
द्रव्यमान अधिक होगा तो गुरुत्वाकर्षण-बल का मान अधिक हो जाएगा, जिसे महसूस किया जा
सकेगा। 

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