परियोजना का अर्थ, महत्व, स्वरूप

परियोजना का अर्थ

परियोजना का अर्थ-’परियोजना’ शब्द योजना में ‘परि’ उपसर्ग लगने से बना है। ‘परि’
का अर्थ है ‘पूर्णता’ अर्थात् ऐसी योजना जो अपने आप में पूर्ण हो । परियोजना का
शाब्दिक अर्थ होता है किसी भी विचार को व्यवस्थित रूप में स्थिर करना या प्रस्तुत
करना। इसके लिए ‘प्रोजेक्ट’ अंग्रेजी का शब्द है। प्रोजेक्ट का अभिप्राय है-प्रकाशित करना
अर्थात् परियोजना किसी समस्या के निदान या किसी विषय के तथ्यों को प्रकाशित करने
के लिए तैयार की गई एक पूर्ण विचार योजना होती है।

परियोजना का महत्व

परियोजना का महत्व निम्नलिखित है:-

  1. हम अपने पूर्व ज्ञान के आधार पर नए
    विषयों के ज्ञान की ओर अग्रसर होते है। 
  2. नए-नए विषयों के प्रति चिंतन करने की
    प्रवृत्ति का विकास होता है। 
  3. सामान्य खेल-खेल में बहुत सी नई बातें सीखते हैं। 
  4. नए-नए तथ्यों के संग्रह करने का अभ्यास होता है। 
  5. अन्य पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं को
    पढ़ने की रूचि विकसित होती है। 
  6. इसे खोजी प्रवृत्ति बढ़ती है। 
  7. लेखन संबंधी
    नई-नई शैलियों का अभ्यास तथा प्रयोग करना सीखने है। 
  8. अर्जित भाषा-ज्ञान समद्ध
    तथा व्यवहारिक रूप ग्रहण करता है। 
  9. हम योजनाबद्ध तरीके से अध्ययन के लिए प्रेरित
    होते हैं। 
  10. पाठ्य सामग्री से संबंधित बोध में विस्तार होता है। 
  11. हममें किसी समस्या
    के मूल कारण तक पहुंचने की प्रवृत्ति का विकास होता है। 
  12. सामग्री जुटाने, उसे
    व्यवस्थित करने तथा उसे विश्लेषित करने की क्षमता का विकास होता है । 
  13. समस्या
    समाधान हेतु संभावित निदान खोज निकालने की क्षमता का विकास होता है । 
  14. हमारा मानसिक विकास तेजी से होता है। 

परियोजना का स्वरूप

प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने ढंग से परियोजना तैयार करता है। परियोजना तैयार
करने के कई तरीके हो सकते है। जैसे-निबंध, कहानी, कविता लिखने या चित्र बनाते
समय होता है। हम परियोजना को दो भागों में बांट सकते है- 

  1. वे जो समस्याओं के
    निदान के लिए तैयार की जाती है। 
  2. वे जो किसी विषय की समुचित जानाकरी प्रदान
    करने के लिए तैयार की जाती है।

समस्या निदान स्वरूप परियोजना- 

समस्याओं के निदान के लिए तैयार की जाने वाली परियोजनाओं में संबंधित
समस्या से जुड़े सभी तथ्यों पर प्रकाश डाला जाता है और उस समस्या के समाधान के
लिए सुझाव भी दिए जाते हैं। इस प्रकार की परियोजनाएं प्राय: सरकारी अथवा दूसरे
संगठनों द्वारा किसी समस्या पर कार्य योजना तैयार करते समय बनाई जाती हैं। इससे
उस समस्या के विभिन्न पहलुओं पर कार्य करने में आसानी हो जाती है।

शैक्षिक परियोजना- 

इस तरह की परियोजनाएं तैयार करते समय हम संबंधित विषय पर तथ्यों को
जुटाने हुए बहुत सारी नई-नई बातों से अपने आप परिचित भी होते चले जाते है। शैक्षिक
परियोजना को दो भागों में बांटा जा सकता है- 

  1. पाठ पर आधारित शैक्षिक परियोजना 
  2. शुद्ध ज्ञान के विषयों पर आधारित परियोजना ।

1. पाठ पर आधारित शैक्षिक परियोजना- ‘वह तो तोड़ती पत्थर’ या ‘कुकुरमुत्ता’ पाठ पर आधारित परियोजना बनानी है तो
उसके लिए उसी के समान अन्य पांच कवियों की कविताएं संकलित कर लिख सकते है।
उनकी तुलना करते हुए विचार भी लिख सकते है या सड़कों, नए बनते भवनों के लिए
काम करती महिलाओं के चित्र चिपका सकते है। कुकुरमुत्ता के पौधे के चित्र, गुलाब और
पूंजीपति के चित्र, मजदूर अर्थात् सर्व द्वारा वर्ग के चित्र चिपका कर अपने विचार
तुलनात्मक रूप में प्रस्तुत कर सकते है। इसी प्रकार रामधारी सिंह दिनकर की कविता पर
आधारित परियोजना तैयार कर सकते हैं। ‘आखिरी चट्टान’ यात्रा वृत्तांत पढ़ने के बाद
अन्य पर्यटन स्थलों के बारे में बहुत सी नई जानकारियों हमें मिलती है। इस प्रकार पाठ
पर आधारित योजना का स्वरूप तैयार होता है।


2. शुद्ध ज्ञान के विषयों पर आधारित परियोजना- कुछ परियोजनाएं शुद्ध ज्ञान पर आधारित हो सकती हैं। इन परियोजनाओं का
उद्देश्य एक प्रकार से आपके द्वारा पढ़े हुए पाठ से प्राप्त जानकारियों के प्रति जागरूक
बनाना और अपने अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करना होता है।

जैसे हम ‘साक्षरता के
महत्व’ पर एक परियोजना तैयार करते हैं। लोगों के अशिक्षा के बारे में अखाबरों तथा
पत्रिकाओं से आंकड़े इकट्ठे करते हैं, चित्र जुटाते है, समस्याओं का पता लगाते हैं तो हमें
समझ में आ जाता है कि यह परियोजना पाठ को समझने में मददगार साबित हुई। इस
प्रकार शुद्ध ज्ञान की परियोजनाएं पढ़े हुए पाठों को समझने, पाठ्य पुस्तकों से जानकारी
को बढ़ाने को समझने, पाठ्य पुस्तकों से जानकारी को बढ़ाने तथा अभिव्यक्ति कौशल का
विकास करने में मदद करती है।

अत: परियोजना एक प्रकार का क्रियाकलाप ही होती है। लेकिन पाठों में दिए गए
क्रियाकलापों से इसका क्षेत्र थोड़ा व्यापक होता है।

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