भारत में किसानों की समस्याएं और समाधान

भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत के लगभग सत्तर प्रतिशत
लोग कृषि और कृषि आधारित कार्यों पर निर्भर है। किसान, कृषि उत्पादन द्वारा अपने और
पूरे समाज के खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। वे
वाणिज्यिक फसलों के उत्पादन के साथ हमारे उद्योगों जैसे
कपड़ा उद्योग, चीनी, इत्यादि के लिए कच्चे माल की पूर्ति भी
करते हैं। मानव सभ्यता की शुरुआत से लेकर
आज के आधुनिक युग तक किसान की महत्ता हमेशा बनी रही
है हम सभी भोजन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कृषि
पर निर्भर हैं। हम अपना भोजन प्राप्त करते हैं क्योंकि किसान
फसलों की खेती करता है और कृषि गतिविधियों को चलाता
है।  किसान पूरे मानव समाज के पोषण और विकास के
लिए काम करता है लेकिन स्वयं किसान की अपनी स्थितियां
संतोषजनक नहीं हैं। 

भारत में किसानों की समस्याएं

1. कठिन जीवन

एक किसान का जीवन बहुत कठिन है। वह
सभी मौसमों में बहुत मुश्किल से दिन और रात काम करता है।
गर्मियों के मौसम में, वह सूर्य की तपती धूप में काम करता है,
सर्दी के मौसम में, हड्डियों को गला देने वाली ठंडक में खेत में
काम करता है। बरसात में खुले आसमान में भीगते हुए खेत में
काम करता है. गर्मी, सर्दी बरसात चाहे जो मौसम हो किसान
अपने काम में लगा रहता है 

2. मौसम
पर निर्भरता

हमारे देश के किसान का जीवन प्रकृति
की शक्तियों पर बहुत निर्भर है। कृषि के लिए पर्याप्त मानसून
आवश्यक है। मानसून की अनिश्चितता के कारण किसान का
जीवन भी अनिश्चितताओं से भरा होता है यदि वर्षा पर्याप्त
है, तो फसल अच्छी होती है, वही अपर्याप्त वर्षा और पानी
की कमी की लंबी अवधि की वजह से सूखे की स्थिति हो
जाती है तो, कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और फसल
का उत्पादन कम या बिलकुल नहीं होता, जिससे किसान की
आजीविका दुष्प्रभावित होती है। साथ ही भोजन की गंभीर
समस्या उत्पन्न हो जाती है। दूसरी तरफ अधिक बर्षा से, बाढ़
आने से फसलें बर्बाद हो जाती है साथ ही साथ, जानवर,
घर आदि पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इन सब की वजह से
किसानों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

3. आर्थिक समस्याएं

किसान जीवन यापन के लिए अपनी फसलों
को बेचकर पैसा कमाता है और खुश रहता है। लेकिन यदि
फसल खराब हुए तो उसकी जमा पूजी भी नहीं निकलती और
उसका जीवन दुखी हो जाता है। वह कर्ज के चंगुल में फंस
जाता है जिससे निकलना बहुत मुश्किल होता है। यदा-कदा
किसान आत्महत्या के लिए भी मजबूर हो जाते है।

ऐसा भी देखा जाता है की कभी-कभी फसलों की अच्छी उपज
होने पर भी किसानों को कम मूल्य पर अपनी फसलों को बेचना
पड़ता है क्योंकि सभी जगहों पर उत्पादन में वृद्धि होने पर,
फसलों का बिक्री मूल्य कम हो जाता है। अतिरिक्त उत्पादन
का लाभ किसानों को न मिलकर बिचैलियों/व्यापारियों को
मिलता है जो किसानों से कम मूल्य पर फसलें खरीद कर बाद
में ज्यादा मूल्य पर बेचते हैं।

4. जागरूकता की कमी

हमारे देश के अधिकांश किसान
अधिक पड़े लिखे नहीं हैं। इसलिए वे कृषि में आधुनिक
तकनीक का इस्तेमाल न करके पारम्परिक तरीके से कृषि
करते हैं जिससे कम उत्पादन होता है और वे कड़ी मेहनत
के बाद भी लाभ नहीं कमा पाते। इसके साथ ही अपने वैध
अधिकारों से अनजान होने के कारण वे बिचैलियों और
सूदखोरों के जाल में फंस जाते है

5. स्वस्थ्य
और स्वच्छता सम्बन्धी समस्याएं

उनके पास स्वास्थ्य
और स्वच्छ वातावरण बनाए रखने के लाभों के बारे में बहुत
कम शिक्षा और जागरूकता है। ज्यादातर किसानों को इस
तथ्य का कोई ज्ञान नहीं है कि अशुध पानी पीने से स्वास्थ्य
संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, हमारे गांवों
में अपर्याप्त मलजल प्रणाली है। ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त
चिकित्सा सुविधाएं या प्रशिक्षित नर्सों और डॉक्टरों की कमी
है। झोलाछाप डॉक्टरों और झाड़फूक के चक्कर में पड़ कर
अपनी जिंदगी खो देते हैं।
समाधान – किसानों को अन्नदाता कहा जाता है किन्तु किसान स्वयं और
परिवार के भरण पोषण के लिए संघर्ष करता दिखता है।
इसलिए भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार होनी चाहिए।
उन्हें खेती की आधुनिक पद्धति को सिखाया जाना चाहिए.
उन्हें साक्षर बनाया जाना चाहिए। उन्हें सरकार द्वारा सभी संभव तरीकों से
सहायता मिलनी चाहिए। क्योंकि उनकी भलाई का कारण ही
भारतीय कल्याण पर निर्भर करता है। सरकार ने किसानों
के लाभ के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। जिनका लाभ
सभी किसानों को मिलना चाहिए। सरकार द्वारा संचालित
योजनाओं का ज्ञान सभी किसानों को होना चाहिए। ताकि सही
रूप से इन योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचे सके।

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