वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या विस्फोट की स्थिति में है।
जनसंख्या वृद्धि की दर जीवन्त – जाग्रत बुद्धिमान – मनीषियों एवं विभूतिवानों
के लिए एक चुनौती है। जिसे उन्हें स्वीकार करना ही पड़ेगा। जनसंख्या की
अनियंत्रित वृद्धि के कारण संसार पर भुखमरी का संकट तीव्र गति से बढ़ता जा
रहा है।
सावधान करते हुए लिखा है ‘‘आगामी सन्-2050 में संसार की हालत
महाप्रलय से भी बुरी हो जायेगी। तब धरती पर न तो इतने लोगों के लिए
पर्याप्त भोजन मिल सकेगा, न शुद्ध वायु न पानी न बिजली। देश की
उत्पादकता ही राष्ट्रीय विकास का आधार है।
ही बेरोजगारों की फौज खड़ी है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण
- जन्म-दर
- मृत्यु दर
- प्रवास
- जीवन प्रत्याशा
- विवाह एवं सन्तान प्राप्ति की अनिवार्यता
- अशिक्षा एवं अज्ञानता
- बाल विवाह
- अंधविश्वास
- लडके की चाह मे लडकियाँ पैदा करना
- भारत में जनसंख्या वृद्धि के अन्य कारण
1. जन्म-दर
किसी देश में एक वर्ष में जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों में जन्म लेने
वाले जीवित बच्चों की संख्या ‘जन्म-दर’ कहलाती है। जन्म-दर अधिक होने पर
जनसंख्या वृद्धि भी अधिक होती है, भारत में जन्म-दर बहुत अधिक है। सन् 1911 में
जन्म-दर 49.2 व्यक्ति प्रति हजार थी, लेकिन मृत्यु-दर भी 42.6 व्यक्ति प्रति हजार होने
के कारण वृद्धि दर कम थी। उच्च जन्म-दर के कारण वृद्धि दर मन्द थी।
जनगणना में जन्म-दर में मामूली कमी 41.2 व्यक्ति प्रति हजार हुई, लेकिन मृत्यु-दर
42.6 व्यक्ति प्रति हजार से घटकर 19.0 रह गयी इसलिए वृद्धि दर बढ़कर 22.2 प्रतिशत
हो गई।
2. मृत्यु दर
किसी देश में जनसंख्या के प्रति हजार व्यक्तियों पर एक वर्ष में मरने वाले
व्यक्तियों की संख्या को मृत्यु दर कहतें हैं। किसी देश की मृत्यु दर जितनी ऊॅंची होगी
जनसंख्या वृद्धि दर उतनी ही नीची होगी। भारत में सन् 1921 की जनगणना के अनुसार
मृत्यु दर में 47.2 प्रति हजार थी, जो सन् 1981-91 के दशक में घटकर 11.7 प्रति हजार
रह गयी अर्थात् मृत्यु दर में 35.5 प्रति हजार की कमी आयी।
जनसंख्या दर ऊॅंची हुई। मृत्यु दर में निरन्तर कमी से भारत में वृद्धों का अनुपात अधिक
होगा, जनसंख्या पर अधिक भार बढ़ेगा। जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहा जाता है। मृत्यु दर
में कमी के फलस्वरूप जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है।
भारत में जनसंख्या वृद्धि |
3. प्रवास
जनसंख्या के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण को प्रवास कहते
हैं। जनसंख्या की वृद्धि में प्रवास का भी प्रभाव पड़ता है। बांग्लादेश के सीमा से लगे राज्यों
में जनसंख्या वृद्धि का एक बड़ा कारण प्रवास है त्रिपुरा, मेघालय, असम के जनसंख्या वृद्धि
में बांग्लादेश से आए प्रवासी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि इन राज्यों में जन्म-दर
वृद्धि दर से कम है। ऐसा माना जाता है कि भारत की आबादी में लगभग 1 प्रतिशत वृद्धि
दर में प्रवास प्रमुख रूप से उत्तरदायी है।
4. जीवन प्रत्याशा
जन्म-दर एवं मृत्यु-दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि दर कहा जाता है।
मृत्यु-दर में कमी के कारण जीवन प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी होती है। सन् 1921 में भारत में
जीवन प्रत्याशा 20 वर्ष थी जो आज बढ़कर 63 वर्ष हो गया है, जो वृद्धि दर में तात्कालिक
प्रभाव डालता है। जीवन प्रत्याशा में बढ़ोत्तरी से अकार्य जनसंख्या में वृद्धि होती है।
5. विवाह एवं सन्तान प्राप्ति की अनिवार्यता
हमारे यहां सभी युवक व युवतियों के विवाह की प्रथा है और साथ ही
सन्तान उत्पत्ति को धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टि से आदरपूर्ण माना जाता है।
6. अशिक्षा एवं अज्ञानता
7. बाल विवाह
8. अंधविश्वास
9. लडके की चाह मे लडकियाँ पैदा करना
10. जनसंख्या वृद्धि के अन्य कारण
भारत में जनसंख्या वृद्धि के अन्य भी कई कारण हैं, जैसे- संयुक्त
परिवार प्रथा, गरीबी, निम्न जीवन-स्तर व अशिक्षा आदि ऐसे अनेक कारण हैं जो
जनसंख्या की वृद्धि में सहायक हो रहे हैं।
जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय
- शिक्षा का प्रसार-
- परिवार नियोजन-
- विवाह की आयु में वृद्धि करना-
- संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण-
- जनसंख्या शिक्षा-
- परिवार नियोजन संबंधी शिक्षा
- जनसंख्या नियंत्रण कानून