मास मीडिया के प्रकार और समाज में प्रभाव

मास मीडिया में विभिन्न प्रकार के संचार माध्यम शामिल हैं जिसका निर्माण व्यापक श्रोताओं
तक पहुंचने के लिए किया जाता है। मास मीडिया को भौतिक रूपों में, तकनीकी के उपयोग
से तथा संप्रेषण प्रक्रिया की प्रकृति आदि के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। 

मास मीडिया के प्रकार 

मास
मीडिया की प्रमुख श्रेणियां हैं (types of mass media):-

  1. लोक मीडिया (कठपुतली, लोक रंगमंच, नुक्कड़ नाटक)
  2. प्रिंट (पुस्तकें, पम्पलेट, समाचार पत्र, पत्रिकाएं इत्यादि)
  3. इलेक्ट्रॉनिक (रेडियो, सिनेमा, टेलीविजन)

1. लोक जन संचार (लोक मीडिया) 

पारंपरिक मीडिया या पारंपरिक मीडिया संचार को बढ़ाने तथा किसी समाज के जमीनी स्तर
पर संवाद को बढ़ाने का एक साधारण उपकरण है।

कठपुतली के माध्यम से होने वाले प्रदर्शन लोक मीडिया (जन संचार) का एक लोकप्रिय
तरीका है जो मनोरंजक तथा सूचनापरक होता है। प्राचीन हिन्दू दार्शनिकों ने कठपुतलियों
के संचालकों को बहुत महत्व दिया है उन्हें ईश्वर को एक कठपुतली संचालक माना और
सम्पूर्ण विश्व को कठपुतली का एक रंगमंच माना।

नुक्कड़ नाटक जनसंचार का एक और माध्यम है जिसका प्रयोग व्यापक रुप से सामाजिक
राजनीतिक संदर्भों का प्रचार करने और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता उत्पन्न करने के
लिए किया जाता है। नुक्कड़ नाटक छोटे, सीधे, मुखर तथा अतिरिक्त रूप से अभिव्यक्ति
प्रधान होते हैं क्योंकि उनका प्रदर्शन उन स्थानों पर होता है जहां भारी भीड़ होती है उनको
सुदृढ़ समाज सुधारों का प्रचार करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है और भीड़ को किसी
खास मुद्दे पर एकजुट करने के लिए उनको सशक्त माध्यम माना जाता है।

2. प्रिंट मीडिया 

प्रिंट मीडिया के अन्तर्गत मुद्रित सामग्री के माध्यम से जन संचार शामिल है। इसके अन्तर्गत
समाचार पत्र, पत्रिकाएं, बुकलेट, त्रय मासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक पत्रिकाएं आदि आती हैं
(मुद्रित शब्द ज्ञान, सूचना तथा न्यूज स्टोरी/घटना पर केन्द्रित समाचार) की शुरुआत हुई
उसके बाद कलकत्ता (अब कोलकाता) में और देश के अन्य प्रान्तों में समुद्रवर्ती शहरों से होते
हुए उसका विस्तार हुआ।

प्रिंट मीडिया की एक विशेषता है कि विस्तृत समाचार प्रसारित करते हैं और मुद्दों पर
गंभीर चर्चा करते हैं भारत में किसी अन्य मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया ने विभिन्न
प्रकार के लेखों के माध्यम से अत्यधिक वैविध्य के साथ सूचना प्रदान की जाती है। प्रिंट
मीडिया की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि उन्हें केवल साक्षर ही पढ़ सकते हैं।

3. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया 

सामाजिक संवाद तथा प्रचार का एक अन्य अत्यधिक लोकप्रिय माध्यम है इलेक्ट्रॉनिक
मीडिया जो प्रिंट मीडिया के साथ विस्तृत हुआ। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विषयवस्तु को श्रोताओं
तक प्रसारित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जन्म रेडियो के आविष्कार के साथ
हुआ जब एक आवाज  ने दूसरे महाद्वीप के लाखों लोगों को रोमांचित कर दिया जो इस
आवाज़ को सुनने के लिए लालायित थे।

1. रेडियो : 20वीं शताब्दी के सर्वाधिक नाटकीय विकासों में एक था रेडियो तरंगों का
आविष्कार। रेडियो सर्वाधिक त्वरित गति से, गहनता और “शक्ति के साथ संप्रेषण का
माध्यम बन गया क्योंकि यह अत्यधिक प्रभावशाली है और यह हर जगह मौजूद है। रेडियो
प्रसारण अपनी पहुंच (व्याप्ति), शक्ति तथा प्रभाव के कारण जनसंचार का सर्वाधिक
महत्वपूर्ण माध्यम बन गया है। रेडियो सार्थक संप्रेषण की तीन प्रमुख कठिनाइयां-
अत्यधिक निरक्षरता, दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए सक्षम माध्यमों का अभाव आरै
गरीबी के कारण मास मीडिया तक पहुंचने में रुकावट से निजात पाने का एक सशक्त
उपकरण है।

2. सिनेमा :
सिनेमा ग्रीक (यूनानी) शब्द ‘किनेमा’ को लैटिन भाषा में लिखा जाने
वाला शब्द सिनेमा है जिसका अर्थ है एक गति। भारतीय सिनेमा, फिल्म उद्योग
को सभी के मनोरंजन के लिए प्रयुक्त होने का एक लोकप्रिय माध्यम है भारतीय सिनेमा के प्रभाव को न केवल बॉलीवुड फिल्मों
में देखा जा सकता है अपितु देश के क्षेत्रीय फिल्म उद्योग में भी देखा जा सकता है। बहुत
सी भारतीय फिल्में न केवल दूसरे देशों में व्यापार कर रही हैं अपितु वे विदेशी फिल्म
निर्माताओं और निर्देशकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं।


टेलीविजन :
टेलीविजन को मनुष्य के महानतम आविष्कारों में एक माना जाता हैं। मल्टीमीडिया (बहु
माध्यम संचार) दृश्य माध्यम के द्वारा संचालित होती है। टेलीविजन दर्शकों के पास कार्य
का वास्तविक दृश्य पहुंचा सकती है। घटनाएं जैसी घटित होती है उन्हें उसी रूप में दर्शक
देख सकता है। घर में एक टेलीविजन सेट होना आज के दौर में व्यक्ति के लिए अनिवार्य
हो गया है। हम अपने मनोरंजन तथा विश्व की ताजा घटनाओं, मुद्दों के विषय में जानने
के लिए इस पर निर्भर हो गए हैं। टेलीविजन प्रसारण दो इन्द्रियों अर्थात श्रवण एवं दृष्टि
(कान और आंख) को प्रत्यक्षतः: प्रभावित कर सकता है। यह रेडियो से ज्यादा प्रभावी है
क्योंकि इसके दृश्यों का दर्शकों के मस्तिष्क पर ज़्यादा प्रभाव पडत़ ा है।

समाज में मीडिया के प्रभाव

मीडिया मनुष्य के मस्तिष्क को तथा समाज में हमारे व्यवहार और कार्य करने के तरीके को
प्रभावित करता है। इस प्रभाव का स्तर कितना होगा यह मीडिया की उपलब्धता एवं उसकी
व्यापकता पर निर्भर करता है।

सभी पारंपरिक जनसंचार माध्यमों का अभी भी हमारे जीवन
पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

कभी पुस्तकों का सर्वाधिक प्रभाव इसलिए पडत़ ा था क्योंकि वे लोगों के बीच समाचार पत्रों,
पत्रिकाओं, रेडियो या टेलीविजन से पहले आ गई। समाचार पत्र और पत्रिकाओं का प्रभाव
उनके विकास के साथ-साथ अधिक होने लगा। आवाज की रिकॉर्डिंग और फिल्मों का
प्रभाव था और अभी भी है। रेडियो और उसके बाद टेलीविजन अत्यधिक प्रभावशाली रहे।
20वीं “शताब्दी की समाप्ति के बाद टेलीविजन ने हमारे सामने विज्ञानों की अनेक छवियों
तथा मार्केटिंग, लोगों की कठिनाइयों और विश्वासों का, कामुकता तथा हिंसा, जानी मानी
हस्तियों और बहुत सी ऐसी चीजों के बारे में जानकारी और तस्वीरें पेश की। नवीन एवं
प्रभावशाली मीडिया वितरण चैनल 21वीं “शताब्दी में हमारे सामने आए। वर्ल्ड वाइड वेब
(विश्व व्यापी वेब) का इंटरनेट के माध्यम से प्रसार के द्वारा हम रोज ही ब्लॉग, विकी, सोशल
नेटवर्क आभासी दुनिया तथा अनेक प्रकार से जानकारी एवं विचारों का आदान प्रदान हो
रहा है।

मीडिया हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र में फैल गया है। चाहे, वह टेलीविजन समाचार हों,
वेब सामग्री हो, पुस्तकें या अन्य कोई चीज जो भी सूचना हम मीडिया से प्राप्त करते हैं
उसका हर व्यक्ति के दैनिक जीवन में असर पड़ता है। इसकी व्यापकता का प्रभाव तो
पड़ना ही है। समाज पर भी मीडिया का प्रभाव सामाजिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में
होने लगता है। इन दोनों में ऐसी अनेक बातें हैं और मीडिया इन दोनों क्षेत्रों के प्रत्येक
हिस्से की बात करता है। मीडिया का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार
का प्रभाव पड़ता है।

समाज पर मीडिया के सकारात्मक प्रभाव है सूचना की उपलब्धता, शिक्षा के विषय में नई
जानकारी, सोशल मीडिया की स्वतंत्र प्रकृति, मीडिया बच्चों की शिक्षा एवं उनके विकास में
एक सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। यह विश्व में होने वाली गतिविधियों एवं घटनाओं
के विषय में ताजा जानकारी एवं समाचार देता है।

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