भाषा की सबसे छोटी इकाई है वर्ण। वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं तथा शब्दों
के सार्थक समूह को वाक्य। अर्थात् वाक्य शब्द-समूह का वह सार्थक विन्यास होता है, जिससे
उसके अर्थ एवं भाव की पूर्ण एवं सुस्पष्ट अभिव्यक्ति होती है। अत: वाक्य में आकांक्षा, योग्यता,
आसक्ति एवं क्रम का होना आवश्यक है।
वाक्य के मुख्य अंग
वाक्य के मुख्य अंग होते हैं, वाक्य के कितने अंग होते हैं, वाक्य के अंगों के नाम, वाक्य के कितने अंग होते हैं, सामान्य: वाक्य के मुख्य दो अंग माने गये हैं –
- उद्देश्य और
- विधेय
1. उद्देश्य
2. विधेय
वाक्य विचार के भेद
क्रिया, अर्थ तथा रचना के आधार पर वाक्यों के भेद प्रभेद किये जाते हैं-
1. क्रिया की दृष्टि से वाक्य के भेद
1. कर्तव्यवाच्य प्रधान : जब वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का सीधा व प्रधान सम्बन्ध कर्त्ता से
होता है अर्थात् क्रिया के लिंग, वचन कर्त्ता कारक के अनुसार प्रयुक्त होते हैं उसे कर्तव्यवाच्य
प्रधान वाक्य कहते हैं। जैसे :धर्मेन्द्र पुस्तक पढ़ता है। पिंकी पुस्तक पढ़ती है।
से होता है अर्थात् क्रिया के लिंग, वचन कर्त्ता कारक के अनुसार न होकर कर्म के अनुसार प्रयुक्त
होते हैं, उसे कर्मवाच्य प्रधान वाक्य कहते हैं। यथा महेन्द्र ने गाना गाया। वर्षा ने गाना गाया।
है न ही कर्म के अनुसार बल्कि भाव के अनुसार, तो उसे भाववाच्य प्रधान वाक्य कहते है यथा :- हेमराज से पढ़ा नहीं जाता। जया से पढ़ा नहीं जाता।
2. अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
1. विधानार्थक वाक्य : जिस वाक्य में किसी बात का होना पाया जाता है उसे विधानार्थक
वाक्य कहते हैं।
जैसे- भूपेन्द्र खेलता है।
का बोध हो उसे निषेधार्थक वाक्य कहते हैं।
जैसे- नीता घर पर नहीं है।
देने का बोध हो, उसे आज्ञार्थक वाक्य कहते हैं यथा
वर्षा, तुम गाना गाओ।
विषय के सम्बन्ध में प्रश्न पूछने का बोध हो, उसे प्रश्नार्थक वाक्य कहते हैं।
जैसे- कौन गाना गा रही हैं ?
इच्छार्थक वाक्य कहते हैं।
यथा- भगवान करे, तुम्हारा भला हो।
वाक्य कहते हैं जैसे –
उन दोनों में जाने, कौन खेलेगा।
कहते हैं।
जैसे- यदि तुम पैसे दो तो मैं चलूँ।
दूसरों का भला करोगे तो तुम्हारा भी भला होगा।
उसे विस्मयबोधक वाक्य कहते हैं यथा-
वाह ! कैसा नयनाभिराम दृश्य है।
3. रचना के आधार पर वाक्य भेद
साधारण वाक्य कहते हैं।
जैसे- नीता खाना बना रही है।
से अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र या मिश्रित वाक्य कहते हैं।
जैसे- गाँधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो। इस वाक्य में प्रधान उप वाक्य तथा आश्रित उपवाक्य का निर्णय करने से पूर्व प्रधान उपवाक्य
एवं आश्रित उपवाक्यों के विषय में जानकारी कर लेनी चाहिए।
हो उसे ‘प्रधान उपवाक्य’ कहते हैं। उपर्युक्त वाक्य में ‘गाँधी जी ने कहा’ प्रधान उपवाक्य है जिसमें
‘गाँधी जी मुख्य उद्देश्य है तो ‘कहा’ मुख्य विधेय।
उपवाक्य कहते हैं। उपर्युक्त वाक्य में ‘कि सदा सत्य बोलो।’ आश्रित उपवाक्य है। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं :
संज्ञा के स्थान पर होता है तो उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। ‘संज्ञा उपवाक्य’ का प्रारम्भ प्राय:
‘कि’ से होता है। उक्त वाक्य में ‘कि सदा सत्य बोलो’ ‘कि’ से प्रारम्भ होने के कारण संज्ञा उपवाक्य
कहलायेगा।
सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाये तो उस उपवाक्य को ‘विशेषण उपवाक्य’ कहते हैं। विशेषण
उपवाक्य का प्रारम्भ प्राय: जो, जिसका, जिसकी, जिसके आदि में से किसी शब्द से होता है।
जैसे- जो विद्वान होते हैं, उनका सभी आदर करते हैं।
की विशेषता बतलाये या सूचना दे, उस आश्रित उपवाक्य को ‘क्रिया विशेषण उपवाक्य’ कहते हैं।
क्रिया विशेषण उपवाक्य प्राय: यदि, जहाँ, जैसे, यद्यपि, क्योंकि, जब, तब आदि में से किसी शब्द
से शुरू होता है यथा –
यदि राम परिश्रम करता, तो अवश्य उत्तीर्ण होता।
या समानाधिकरण उपवाक्य, किसी संयोजक शब्द (तथा, एवं, या, अथवा, और, परन्तु, लेकिन, किन्तु,
बल्कि, अत: आदि) से जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। यथा-
भरत आया किन्तु भूपेन्द्र चला गया।
अधिकार वाला हो उसे समानाधिकरण उपवाक्य कहते हैं।