हम घर के अन्दर घर बना लेते है

हम घर के अन्दर

म घर के अन्दर
हम घर के अन्दर

घर बना लेते है,

बाहर की दुनिया को,
अन्दर छुपा लेते हैं,
राह में ठोकरें खाकर,
गिरने वाले को,
उठा लेते हैं,
बस यूहीं,
जिन्दगी में,
छोड़ नये अन्दाज को,
पुरानें हिसाब से,
जी लेते हैं,
हम घर के अन्दर,
घर बना लेते हैं।
– डॉ.अनिल मीना,(व्याख्याता) 
मुन्डावर ,अलवर,राज.301407

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