आंधी हिंदी कविता
मैं देता हूं,
तेरा परिचय,
जब तू आती है,
दो आंख वाले भी,
हो जाते हैं,अंधे,
ओ प्यारी,
धूल भरी,
कण-कण से,कणों को,
मिलाने वाली,
अपने, पराए,
भूलकर,
सब में,
सब को,
घोलने वाली,
कितना डरावना, प्यारा दृश्य,
तेरे आगमन का,
लोग कर लेते हैं,
बंद खिड़की,दरवाजे,
पर तेरा आंचल मटमैला,
ओढ़ लिया,
धरा नें आसमान तक,
समा गए तुम में,
सब सृजन,शक्ति-सत्ता का,
अधिकार ले,
पतझड़ के,
पत्तों में,
मिट्टी के,
कण- कण में,
रक्त संचार करने को,
खड़खड़,फड़फड़,
हर-हर,
सांय,सांय कर,चलती हो,
उमड़ घुमड़ कर चलने वालें,
बादलों को भी,
संग में कर लेती हो,
तेरी महिमा से,
कण-कण को,
जीवनदान मिला,
एक बार नहीं,
हर बार खिला,
वह मन को मन से,
कण को कण से,
मिलाने वाली,
सत्य आभा चमकाने वाली,
ओ! धूल भरी आंधी,
‘मैं’ देता हूं, तेरा परिचय…