कसाई
पैसे होते तो वे पुट्ठे का मांस लिया करते थे। चूंकि उस दौर में मांसाहार एक बहुत मंहगा शौक होता था, सो चार-पांच महीने मे एक-आध बार ही उन्हें मांस खाने का मौका लग पाता था। उस दिन वे सारे भाई-बहन बेहद खुश रहते थे। उसके पिता मांसाहारी भोजन बनाने में दक्ष थे। वैसे उन्हे मांसल हिस्सा खरीदने के मौके कम ही मिलते थे। उसके पिता ज्यादहतर बकरे की मुण्डी या फिर पैर ही खरीदते थे। वे बडी़ एकाग्रता से बकरे के पैरों को भूंजते और उसके बालों को निकाल करते थे। वे अपने काम में एकदम ध्यानमग्न होते थे। यह पूरे दिनभर का कार्यक्रम होता था। सुबह के खरीदे हुए पैरों की अपरान्ह लगभग चार बजे तक ही तरकारी बन पाती थी। अभावों के उस दौर में उन्हेें भूख भी बेहद ज़्यादह लगती थी। और वे भाई-बहन गोश्त के उबाले जाने के दौरान जाने के दौरान ही आधा खत्म कर देते थे। वास्तव में भूख की सही तीव्रता का अहसास अभावों के समय ही पता लग पाता है। उसके पिता मटन को उबालते वक़्त ही लहसुन, प्याज हल्दी व मिर्च भी साथ ही डाल दिया करते थे। सो तरकारी पूरी तरह बनने के पहले ही उन्हें उसमें तरकारी का पूरा मजा आता था। और वे सभी भाई-बहन चूल्हे के इर्द-गिर्द इकट्ठे होकर बैठते थे। और गिनती गिना करते थे कि एक हजार तक गिनती ख़त्म होने पर तरकारी तैय्यार हो ही जायेगी।
आलोक कुमार सातपुते |
एकड़ खेत ही बच गये थे, लेकिन वह परिवार अकड़ अब भी जमीदारों जैसी ही दिखाता था। अब जबकि गांव-गांव में सरकारी काम खूल गये थे, सो ग्रामीण मजदूरों की मजदूरी बढ़ गई थी। भला अब वे क्यों किसी की अकड़ बर्दाशत करते। अब ठाकुर के एक कहने पर लोग उसे दस बातें सुनाने लगे थे। और उनके द्वारा सामूहिक रूप से फै़सला ले लिया गया था कि उसके खेतों में मजदूरी करने कोई नहीं जायेगा। फिर भी उसे न सुधरना था, न ही वह सुधरा।उस ठाकुर के उपर लाखों रूपये का कर्ज था, क्योंकि, उसके ठाठ में तो किसी किस्म की कमी नहीं आई थी। उसका एक लड़का था। वह भी नंबरी नालायक था, और बांभन के लड़के के बाद उस गिरोह का दूसरे नंबर का सरगना था। इसके अलावा गांव के और भी लोफर किस्म के लड़के भी इस गिरोह के सदस्य थे। लेकिन इस गिरोह की वारदातें ज़्यादह दिनों तक नहीं चल पाई, क्योंकि अब लोग पुलिस के पास उनकी शिकायतें करने लगे थे। और पुलिस ने उनपर सख़्ती बरतनी शुरू कर दी थी। कुछ दिनों तक तो इस गिरोह के लोग शांत बैठे रहे, लेकिन बुरी लतों के आदी इन लड़कों की आवश्यकताएं उन्हंे परेशान करने लगीं। इस बीच गिरोह के मुखिया उस बांभन लड़के को एक नई बात पता चली कि चूंकि इस राज्य में गोवध प्रतिबंधित है, सो पडा़ेसी राज्य में गोवंश की तस्करी की जाती है और उसे एक आयडिया सूंझा। उसने अपने गांव में गौरक्षा दल का गठन कर लिया। इस दल में उसके गिरोह के सभी सदस्य थे, पर चूंकि गांव के मुखियां की सहमति के बिना इस दल को मान्यता मिलनी नहीं थी। सो उन्हांेने उस दलित सरपंच को भी अपने दल में शामिल कर लिया। सरपंच को गोरक्षा दल का अध्यक्ष बना दिया गया। उधर वह दलित सरपंच गोमाता की सुरक्षा और उसे कसाइयों के हाथों से बचाने के पुनीत कार्य में सहयोग देने के उदेदश्य से उनके साथ शामिल हो गया। अब गिरोह का मुख्य कार्य था हाईवे पर होती मवेशियों की तस्करी को रोकना था। उस गोरक्षा दल के सदस्य मवेशियों से भरे ट्रकों को पकड़कर उन्हंे वापस लौटने के लिए बाध्य कर देते थे। वास्तव में यह सिर्फ़ दिखाने के लिये होता था। वे ट्रकों को बीस किलोमीटर दूर वापस लौटाते और वहां एक कच्चें रास्ते से उन्हे दूसरे राज्य में प्रवेश करा देते थे। मेाड़ पर उस गिरोह का एक सदस्य बैठा होता था। वे तस्कर को अगली बार हाइवे न जाकर उसी रास्ते से होकर जाने की हिदायत भी दे देते। इसके एवज़ में तस्कर उन्हे मुंहमांगी रकम दे देते थे। इस तरह उन्होंने तस्करों को दूसरे राज्य में प्रवेश कराने का धंधा खोल लिया थां। अब उनका यह धंधा चल निकला। उधर दलित सरपंच को उनकी करतूतों की भनक भी नहीं लग पाई, क्योंकि वे उसके सामने से तो मवेशियों से भरी ट्रकों को वापस लौटाते थे। इस बीच उस क्षेत्र के थाने में एक बांभन थानेदार आ गया और उसने उनकी करतूतों को पकड़ लिया। उधर उस बांभन लड़के ने अपने सजातीय होने का फायदा उठाते हुए गउ को अपनी माता बताना शुरू कर दिया। चंूकि गोरक्षा दल का अध्यक्ष वह दलित सरपंच था और वह चमार जाति का ही था, सो सारा दोष उसी पर मढ़ दिया गया। यह बात सार्वजनिक रूप से मान भी ली गई कि बांभन गोरक्षक होते हंै जबकि दलित गोभक्षक। गोमाता की स्मगलिंग का पता चलते ही गांव वालों ने सरपंच को ही पीटना शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद संरपंच को गोमाता की स्मगलिंग के अपराध में जेल हो गई,जबकि वो बांभन और ठाकुर आज भी मूंछों पर ताव देते घूमते हैं।उन्हें सामने देखकर गोपी के मुंह से बरबस ही निकल जाता है- साले कसाई।
आलोक कुमार सातपुते 832, हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी सड्डू, रायपुर (छ.ग.) मोबाइल – 09827406575