संताप अभी भी है
निर्भया हत्याकांड के बाद
कहां बचा है मानवता का धर्म
कहां बची है इंसानियत की संस्कृति
कहां बचा है भारत का गौरव
कहां बची है मां की ममता
बेटियों की लाज और
कहां बची है बुद्ध की करुणा
कहां बची है गांधी की समप्रभुता
कहां बचा है ईश्वर के
सबसे सर्वोत्कृष्ट मनुष्य की रचना
यहां तो रोज गूंजती हैं
निर्भया और मनीषा की चीखें
और कहां बचे है हम हमारी धरोहर
क्या मानवता दो शब्द का मात्र टुकड़ा है
जिसे कोई जब चाहे
अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ लेते हैं
अब आदमी शब्द भी
कितना भयानक लगता है
या यह कोई खाल है
जिसमें कोई दरिंदा छिपा है
या फिर मानवता,संस्कृति
करुणा,दया,समाज
समप्रुभता,शासन,प्रशासन
कानून,न्याय,आदर्श
और सबसे बड़ी चीज लोकतंत्र
किसी कुत्ते की मूत है
जो गंदे नाले के किनारे
खड़े किसी खम्भे पर
कोई कुत्ता मूत कर चला जाता है!
– राहुल देव गौतम