क्यों बार बार अपमान का शिकार होती बेटियां

बेटियों का प्रश्न


मर्यादा के देश में बलात्कार होती बेटियां,
देवियों की भूमि पर सम्मान खोती बेटियां,
कसूर क्या है इन नंही सी कलियों का,
क्यों बार बार अपमान का शिकार होती बेटियां।।
कुकर्मी बेटों की माताओं पर है प्रश्न चिन्ह,
क्या संस्कार दिए तुमने,जो जननी को कर कलंकित,
जीवन को छीनकर ,मेरे अस्तित्व को तार तार करते ,
पूछ रही बेटी सवाल एक सबसे,
दृष्टि देनी वाली पर क्यों कुदृष्टि सब धरते।।
मां,बेटों में भरोगी कब संवेदनाएं​,सवाल है ये सामने,
तुम्हारी ही बच्चियों से करता ये कुकृत्य कोई ,
अपमान का शिकार
अपमान का शिकार
कैसे सह जाती उसकी आत्मा की पीड़ा को,
मर्द हैं वो स्त्री के दर्द को न समझे भले, 
तुम तो हो जननी संस्कारों के बीज डालो न।।
बेटी ही नहीं मरी आज,आत्मा भी मरी है,
घाव ये गंभीर है अपने मूल्यों को बचा लो तुम,
कैसे समाज की पनाह में हैं हम,जहां नारी प्रताड़ित है,
कुछ कहने को शब्द नहीं,विषय ये लज्जा का है,
कुछ के मन-मस्तिष्कों में नारी सिर्फ भोग्या है।।
बेटियों की दुर्गति से विचलित है कब से मन,
अब तो इस माहौल में दम घुटने लगा,
सवाल है एक सीधा सा जवाब हो तो दे दे कोई,
तुम्हारे जीवन को करती पल्लवित अपराध बस इतना सा है,
घर आंगन भी सुरक्षित नहीं,अपनी गुड़िया के लिए।। 
आएंगे न राम-कृष्ण उद्धार को तुम्हारे,
धर भेष चंडिका का,असुरों का संहारों तुम,
बेटियां ही न बचेंगी तो पैदा करेगा तुम्हें कौन,
इस बात को अपने दिमागों में उतारो तुम,
देवियों को पूजते हैं और नारियों का शोषण है,
इस विडम्बना से बेटी को बचा लो तुम।।


– अंजू
सहायक प्राध्यापक (समाजशास्त्र)
श्री महेश प्रसाद डिग्री कॉलेज लखनऊ

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