चाय पर निबंध | Essay On Tea In Hindi

चाय पर निबंध

चाय पर निबंध भारतीय चाय पर निबंध असम की चाय पर निबंध – चाय का पौधा साधारणतः तीन चार फुट लम्बा होता है ,पर कहीं कहीं इसकी लम्बाई दस बारह फुट तक भी देखी गयी है। चाय की पौधे चार प्रकार के होते हैं। कली से बनायीं जाने वाली चाय पिको के नाम से प्रसिद्ध है। चाय की छोटी छोटी पत्तियां साऊचांग कहलाती है। चाय की बड़ी – बड़ी पत्तियां कंप कहलाता है। इन तीनों चाय के मिलने से जो चाय बनती है वह फैनिग्न के नाम से मशहूर है। ल्पछु नाम की एक कीमती चाय दार्जिलिंग में पायी जाती है। 

चाय की उत्पत्ति 

चाय पर निबंध | Essay On Tea In Hindi

चाय केवल भारत ,श्री लंका और चीन में ही पैदा होती है। संसार भर में सबसे अधिक चाय की खेती भारतवर्ष में होती है। पहले चाय की छोटे – छोटे पौधों से नर्म – नर्म पत्तियां तोड़कर उन्हें धूप में सूखाते हैं। फिर उन पत्तियों को कली से दबाते हैं। इसके बाद उन्हें मिट्टी के भीगे बर्तन या पानी से तर घरों में रख देते हैं। कुछ दिनों के बाद चलनी के चालकर उनसे कई प्रकार की चाय तैयार कर ली जाती है। यह चाय बाजारों में बेची जाती है। 

चाय के लिए भौगोलिक दशाएं

ढलवे पहाड़ पर जहाँ अधिक वर्षा होती है ,वहां की जमीन चाय की खेती के लिए उपयुक्त समझी जाती है। ऊँची जमीन पर पानी नहीं ठहरता और वह उपजाऊ भी खूब होती है। चाय के पौधे क्यारियों में उगाये जाते हैं और काफी सिंचाई का भी प्रबंध करना पड़ता है। चाय के अलावा बाकी घास पात या अनावश्यक पौधे निकाल कर बाहर करना चाहिए। बीच – बीच में पौधे के बढ़ जाने पर उनके सिरे छांट दिए जाते हैं। साल भर में तीन – चार बार चाय की पत्तियां चुन ली जाती है। 

चाय पीने के नुकसान और फायदे

शरीर या दिमाग से काम करने वाले सभी लोग आजकल चाय पीने लगे हैं। चाय पीने से आलस्य दूर होता है ,शरीर में फुर्ती आती है ,नींद कम आती है ,कामकाज करने में सुविधा होती है ,तबियत बहल जाती है और थकावट चली जाती है। रात में जागने वाले लोगों को चाय से बड़ी मदद मिलती है। बहुतों का कहना है कि चाय मलेरिया रोग के कीटाणुओं का भी नाश करने वाली है। चाय से हानि भी कम नहीं होती है। चाय की आदत पड़ जाने से उल्टा प्रभाव भी पड़ता है। ठीक समय पर चाय न मिलने से पर या अधिक पीने से स्वस्थ्य ख़राब हो जाता है। काम करने में जी नहीं लगता है और एक अशांति सी छा जाती है। अधिक चाय सेवन से तरह – तरह की बीमारियाँ होती है। अतः हमें कम ही चाय पीनी चाहिए। 

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