मेरा प्रिय खेल कबड्डी पर निबंध हिंदी में | My favourite game Kabaddi essay in hindi

कबड्डी पर निबंध

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कबड्डी के खेल का मैदान

कबड्डी खेल में खिलाडियों की संख्या का कोई बंधन नहीं रहती है। इतना जरूर है कि दोनों दलों के खिलाडियों की तायदाद समान रहती है और ताकत में भी दोनों दलों में समानता रखी जाती है। इस खेल के लिए हरी- भरी और समतल भूमि ही उपयुक्त समझी जाती है। किसी नदी या तालाब के किनारे चौरस जमीन पर खेल और भी रंग लाता है। खेल का मैदान प्रायः समान दो भागों में विभक्त कर दिया जाता है। ठीक बीच से एक लकीर एक ओर दूसरी ओर तक बना दी जाती है ,उसे डांडी कहते हैं। इसी डांडी के दोनों ओर एक एक दल कुछ – कुछ दूरी पर खड़ा हो जाता है। 

मेरा प्रिय खेल कबड्डी पर निबंध हिंदी में | My favourite game Kabaddi essay in hindi

कबड्डी खेल के नियम

कौन दल पहले खेल आरम्भ करेगा इसका निर्णय प्रायः किसी सिक्के की सहायता से चित्त या पट गिराकर किया जाता है। किसी दल का कोई खिलाड़ी कबड्डी – कबड्डी बोलते हुए दूसरे दल के खिलाड़ियों को छूने की पूरी कोशिश करता है ,उसे ही पढ़ना कहते हैं। दूसरे दल के खिलाड़ी उसको रोके रखने की चेष्टा करते हैं। यदि एक ही साँस में वह किसी खिलाड़ी को छू कर अपने दल में भाग आता है ,तो छुए जाने वाले को बैठ जाना पड़ता है ,इसे ही खेल में मर जाना कहते हैं। 
इस तरह से अगर दूसरे दल वालों ने इसे रोक लिया तो यह भी मर जाता है। बारी – बारी से दोनों दलों के खिलाड़ी एक एक पढ़ने जाते हैं। जिस दल के सब खिलाड़ी मर जाते हैं ,उस दल की हार और दूसरे दल की हार और दूसरे दल की जीत हो जाती है। बीच बीच में जब एक एक दल का कोई खिलाड़ी मर जाता है ,तब दूसरे दल का एक खिलाड़ी जी जाता है ,अर्थात उसे खेलने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार कबड्डी का खेल होता है। कहीं कहीं खेल की हार – जीत का निर्णय किसी मध्यस्थ (रेफरी ) के द्वारा किया जाता है और कहीं कहीं दोनों दलों के खिलाड़ी ही स्वयं उन्हें सञ्चालन करते हैं। 

कबड्डी खेल के लाभ और हानि

कबड्डी खेल के खेलने से साँस रोकने की क्षमता बढ़ती है। शरीर के अंग – प्रत्यंग के सञ्चालन होने से शरीर मजबूत और गठीला होता है। खुले मैदान में खेल होने के कारण शुद्ध और स्वच्छ हवा में साँस लेने से स्वास्थ्य की उन्नति होती है। परस्पर भातृभाव ,सहानुभूति और अनुशासन की शिक्षा मिलती है। सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि बिना खर्च के ही शरीर की अच्छी कसरत होती है। 

हष्ट – पुष्ट और स्वस्थ खिलाड़ी ही इस खेल में सम्मलित हो सकते हैं। दुबले  – पतले और कमजोर इसमें भाग नहीं ले सकते हैं। कभी – कभी हार – जीत को लेकर दोनों दलों में वाद – विवाद से बढ़ते – बढ़ते मार -पीट की नौबत तक आ जाती है।

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