काल चक्र क्या है

काल चक्र  

प्राक्कथन-  सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड काल चक्र से निर्मित एवं संचालित है ।सभी चर अचर काल चक्र के नियमानुसार गतिमान हैं । ब्रह्माण्ड में जड़,चेतन सभी का जीवन एवं सभी की गतिविधियाँ काल चक्र पर ही आधारित हैं। इन्हीं भावनाओं को प्रदर्शित करती हुई एक संक्षिप्त रचना आप सभी को समर्पित …..   
विश्व नहीं कुछ और बन्धुओं, काल चक्र का महल खड़ा  ।
जगत् बना है काल चक से, काल चक्र का पहल बड़ा    ।।
ब्रह्माण्ड अखिल पर जगत् नियंता,सर्वश्व नियंत्रण रखता ।
सर्व शक्तिमान के अनुशासन से, सारा जग है चलता   ।।
एक रुपहला पर्दा है जग,जहाँ सभी हैं दिखते  ।
काल चक्र क्या है
आकर सारे जीव चराचर, अपना अभिनय करते ।।
कभी किसी का अभिनय छोटा, बड़ा किसी का हो जाता।
किस कमाल से कैसे होता, ना यह खेल समझ आता  ।।
छोटा शिशु धरती पर आता, माँ पर ही निर्भर रहता ,                                 
बढ़ता रहता काल चक्र से ,धीरे धीरे सरकन लगता     ।।
मनमोहन मनमोहक मूरत,मनमुग्धक औ मनभावन ।
काल चक्र संग होता व्यतीत, जीवन का शिशु पन पावन ।।
बाल अवस्था युवा अवस्था, क्रमशः आती वृद्धावस्था ।
तन मन जीवन थक जाता है, काल चक्र से मरणावस्था ।।
रूद्र नाथ चौबे
रूद्र नाथ चौबे
उगता सूरज सुबह सबेरे, बच्चा सा लगता है ।
प्रथम प्रहर में होता किशोर,ज्यों ज्यों दिन चढ़ता है  ।।
दोपहरी में युवा अवस्था, वृद्धावस्था तीसरे प्रहर ।
जग आलोकित करता रहता ,ढलता सायं तीसरे प्रहर।।
धरती से नन्हा नव अंकुर, नवोद्भिद् बन कर आता ।
नवल रश्मि पाकर सविता की,हरषित होता सुख पाता ।।
काल चक्र के संग संग चलकर,वृक्ष बड़ा सा बन जाता ।
पहले लगते फूल और फल,बीज अनन्तर उसमें आता।।
काल चक्र से गतिमान चराचर, सूरज चाँद सितारे ।
भूमिका बड़ी है काल चक की, गति पाते जड़ सारे ।।


– रूद्र नाथ चौबे “रूद्र”  
आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश)
सम्पर्क सूत्र–9450822762

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