दोस्त, प्रेमिका और पत्नी

दोस्त, प्रेमिका और पत्नी

कुछ याद आता है,
जब देखा था मेरी नज़रों ने
पहली दफ़ा
तेरे मासूम से चेहरे को।
तुमको पता है ?
कॉलेज का पूरा दिन,
तुमको सोचने में चला गया।
और हाँ, रात भी तुम्हारे ख्यालों में गुज़री।
सच कहूँ सोया नहीं था उस रात,
अगले दिन कॉलेज पहुंचने वाला
पहला व्यक्ति हुआ था मैं।
दिन गुज़रते गए, तुमसे हाय हेलो सिर्फ,
दोस्त, प्रेमिका और पत्नी
दिल में तमन्ना तुम्हें दोस्त बनाने की,
वक़्त बीता तमन्ना पूरी हुई।
वक़्त गुज़रने लगा तुम्हारी दोस्ती में,
तेरी दोस्ती ज़िंदगी का अनमोल रिश्ता हुआ
तुम अनमोल
मेरा ख़्याल रखना,
हर वक़्त बातें करना,
खाया या नहीं खाया?
कब खाना है?
क्यों नहीं खाया?
मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!
चलो खाओ,
मेरी कसम।
और मैं बहुत परेशान भी करता।
बिना गुड मॉर्निंग,
बिना गुड आफ्टरनून ,
बिना गुड इवनिंग,
बिना गुड नाईट,
कहे बिना मानती कहाँ थी!
और मुझे आदत सी हो गयी
तुम्हारी।
हर वक़्त तेरे होने का अहसास होने लगा
शायद इसे “प्यार” कहते हों।
जो भी कहते हैं, बस हो गया,
अब रोने लगा था मैं।
दिल की बात कह नहीं सकता था
और कहने का साहस भी नहीं,
एक अजीब सी कशमकश थी,
वक़्त बीतता रहा,
मैं रोता रहा।
कॉलेज का दिन तेरे साथ हंसते हुए
घर पर रात रोते हुए  गुज़रते थे।
पर दुनिया का सबसे खूबसूरत दोस्त
मेरे पास था,
इसलिए खुश था।
एक लंबे वक्त के बाद
मैंने तुम्हें प्रेमिका के रूप में पाया,
ये भी तुम्हारी वजह से हुआ,
वरना तुम्हे खो देने के डर से,
मैं कभी अपने जज़्बात नहीं कह पाता।
तुम्हारा मुझसे इज़हार करना
मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी ख़ुशी है।
तुम्हारा प्यार करना
मुझे प्यार सिखाता गया
और हर रोज मेरा प्यार बढ़ता गया
और तुम एक आदत हो गई।
एक पल की भी अगर बात न हो
दिल बेचैन हो जाता है
आदत जो हो।
तुम्हें पता है
जब भी दूर रहा हूँ, 
घुट घुट कर रहा हूं
तुम्हें अहसास नहीं होने दिया
पर मालूम है तुम्हें सब पता रहा है
मेरा ख़्याल जो रखती हो।
मैं आज भी सुबह तेरी तस्वीर को
सामने रखकर आँखें खोलता हूं।
इससे ज़्यादा मैं कुछ नहीं 
कह सकता।
कोई सुबह नहीं हुई इस सफ़र में ऐसी,
जिसमें तुझे देखे बिना आँख खुली हो।
एक बात कहूँ,
मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ
तुम
दोस्त,
प्रेमिका,
पत्नी,
सब हो।
मिलाकर कहूँ तो
“ज़िन्दगी”


– मुकेश प्रेम
शिक्षा- हिंदी में परास्नातक, हिंदी विषय में ugc नेट परीक्षा उत्तीर्ण, दो वर्ष शिक्षा क्षेत्र में कार्य अनुभव अज़ीम प्रेमजी फॉउंडेशन में। वर्तमान में सामाजिक कार्य में संलग्न एवं शिक्षा में शोध।

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