मीठी मीठी बांसुरी और कान्हा

मीठी मीठी बांसुरी और कान्हा

कान्हा तेरी बंसी का, मैं हूं दीवाना।
स्वप्न  में  मधुर धुन  सुनान  आना ।
भाव विभोर हो कर गाने लगा गाना।
मयूर  पंख  से  तुझे  मैंने  पहचाना ।
अब मीठी मीठी बांसुरी तो बजाया कर।

श्री कृष्ण
श्री कृष्ण 

ना मैं तेरी राधा और ना ही तेरी गोपी हूं।
ना मैं तेरी मीरा और ना ही रुकमणी हूं ।
ना   ही  तेरा  परम  मित्र   सुदामा   हूं ।
और  ना  ही  तेरा  भ्राता  बलराम  हूं ।
फिर भी मीठी मीठी बांसुरी तो बजाया कर ।

मैया  यशोदा  तुम्हें  लल्ला  कहे ।
गोप  गोपियां  माखन  चोर कहे ।
भक्तों की  खातिर दुख दर्द सहे ।
चरण स्पर्श पा कर कालिंदी बहे ।
अब मीठी मीठी बांसुरी तो बजाया कर।

धरा पर पाप का विनाश कर दिया।
पांचाल पुत्री द्रौपदी का चीर बढ़ाया।
अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया।
शापित  को  शापमुक्त  कर  दिया ।
अब मीठी मीठी बांसुरी तो बजाया कर।

रूप  एक है, तेरे नाम अनेक  हैं।
खाटू, श्रीनाथ, सांवलिया सेठ है।
मुरलीधर  मनोहर  द्वारिकेश  है।
वैजन्ती माला पीताम्बरी वेश है।
अधर से मीठी मीठी बांसुरी तो बजाया कर।

कानों में कुण्डल, मोरपंख सिर पर धारे।
बंसी बजाते कान्हा, त्रिभंगी रूप बनाए।
स्वयं नाचे बाल गोपालों को भी नचाए।
सारा  जगत  उसके   मुख  में  समाए ।
अब प्रेम रूपी मीठी मीठी बांसुरी तो बजाया कर।


– प्रभु राम गरासिया (अध्यापक)
गांव- भीमाना, तहसील – बाली , 
जिला – पाली ,(राजस्थान)
मोबाइल नं – 7742632874

You May Also Like