वाट्सएप

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आज की सुबह बहुत उदास थी ,न गमले में खिला नया पीला गुलाब भा रहा था न ही तो दूब की नोंक पर टिकी वो ओस की बूँद—- !! “कितनी बदल गई है दुनिया” सोचते हुए रश्मि ने ग़हरी साँस ली..
सुबह-सुबह उठते ही ऑन लाइन हुई तो अखिल के नम्बर पर कई मैसेज थे , शायद देर रात के …… !!!
     रश्मि ने खोला तो अवाक्
आँखें मीड़ीं— दोबारा पढ़े…
अरे!! मेरे लिए—- हाँ मेरे लिए ही तो हैं ये— समय भी है ,प्रूफ़ भी , एक बड़े साहित्यकार के नम्बर से आए थे—- छोड़ो अखिल उसे ,साली बदमाश औरत है …. “अवसरवादी”!!
आँखों से ढलके आँसू घरवालों से छिपाती रश्मि चाय बनाने लगी” क्या यही है वाट्सएप की दुनिया—– उस घिनौने आदमी के द्विअर्थी संवादों और सैक्स की बातों पर एतराज कर उसको ब्लॉक करना ही औरत का अवसरपन है!!
“चलो वाट्सएप ने लोगों का मुखौटा तो हटाया” !!
निश्चिंत हो रश्मि ने अखिल को थैंक्स का मैसेज डाल दिया!! अखिल जैसा मित्र पा उसकी धारणा और पुख़्ता हो
गई थी —- न सभी पुरूष एक समान न सभी महिलाएँ
वाट्सएप की दुनियाँ में परसन पहचानना ख़ूब आ जाएगा ,रश्मि आश्वस्त हो उठी!!!

सुनीता मैत्रेयी

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