का वर्षा जब कृषि सुखाने

का वर्षा जब कृषि सुखाने 


का वर्षा जब कृषि सुखाने। 
समय चूकि पुनि का पछताने।
इसका तात्पर्य है कि जब आवश्कता थी तब तो कोई मदद के लिए आया नहीं ,अब समय व्यतीत हो जाने के बाद कोई मदद का प्रस्ताव करता तो उस मदद का हमारे लिए कोई औचित्य नहीं रह जाता है।  

सही समय – 

का वर्षा जब कृषि सुखाने
हर निर्णय सही समय पर ही लेना चाहिए इसीलिए हमें किसी भी व्यक्ति की मदद तभी करनी चाहिए जब उसे उसकी जरुरत हो।सामान्यतया ऐसा देखा जाता है कि सहायता करने के लिए डींगे तो सभी मारते हैं परन्तु समय पर कोई भी सहायता नहीं करता है।असली मनुष्य तो वही है जो जरुरत पड़ने पर सहायता करता है।सच्चे मित्र की पहचान भी आवश्कता  के समय ही की जाती है। जो व्यक्ति हमारा सच्चा मित्र बनता दुःख सुख में हमारे साथ रहने का वायदा करता है ,परन्तु जब कभी हम पर दुःख आता है और हम हर तरह से परेशानीयों से घिर जाते हैं ,इस अवस्था में यदि वह समय पर हमारी परेशानियों को कम करता है और हमारी कठिनाईयों को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करता है ,सच्चे शब्दों में वही हमारा असली मित्र है।  

समय का औचित्य – 

इसके विपरीत जो हमारी मुसीबतों के समय हमसे पल्ला झाड़ लेता है ,वह बहुत ही बुजदिल एवं कपटी इंसान होता है। हरी भरी खेती जब पानी के अभाव में सूखने लग जाए और समय पर वर्षा न हो तो कालांतर में हुई वर्षा किसानों के लिए बेकार है। इसीलिए हर काम सही समय पर ही उचित होता है ,समय निकल जाने पर वही वस्तु प्राप्त होने पर उसका कोई औचित्य नहीं रह जाता है। 

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