आदमियत

आदमियत

नारी पत्थर बनी
हम सबने पूजा
भगवान पत्थर बना
हम सबने पूजा
माता पिता की तस्वीरहम सबने पूजी
नारी जिन्दा है
हम सब उसे नोचतें हैं
भगवान जिन्दा हैं इंसानियत में
हम उन्हें छोड़ चुके हैं
माता पिता जिन्दा है
वृद्धाश्रम में।
मरे को पूजना
और जिन्दा को दुत्कारना।
यही हमारी नीयत है
यही आदमियत है।

– सुशील शर्मा


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