तताँरा वामीरो कथा – लीलाधर मंडलोई
तताँरा वामीरो कथा पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ या लोककथा तताँरा वामीरो कथा लेखक लीलाधर मंडलोई जी के द्वारा लिखित है | वास्तव में यह पाठ अंदमान-निकोबार द्वीपसमूह के एक प्रचलित लोककथा पर आधरित है | पोर्ट ब्लेयर तकरीबन सौ किलोमीटर दूर स्थित अंदमान-निकोबार दक्षिणी द्वीप लिटिल अंदमान है | लेखक आगे कहते हैं कि पौराणिक जनश्रुति के अनुसार अंडमान-निकोबार दोनों द्वीपसमूह पहले एक ही थे | आज भी इनके अलग होने के पीछे एक लोककथा प्रचलित है | जब दोनों द्वीप एक थे तब वहां एक सुन्दर सा गाँव बसा करता था, जहाँ एक सुन्दर और बलशाली युवक रहता था, जिसे लोग ‘तताँरा’ नाम से जानते थे | ऐसा कहा जाता है कि वह एक ईमानदार और नेक व्यक्तित्व का इंसान था | हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहता था | निकोबार के लोग उसे प्रगाढ़ प्रेम करते थे | वह बिल्कुल पारंपरिक पोशाक धारण करता था और अपने कमर में हमेशा एक लकड़ी की तलवार लटकाए रहता था | परन्तु, वह कभी तलवार का उपयोग नहीं करता था | लोगों का ऐसा मत था की तताँरा के तलवार में दैवीय शक्ति प्रभाव था |
एक शाम जब तताँरा समुद्र के किनारे टहल रहा था | सूरज डूबने ही वाला था | तताँरा एकाग्रता से सूरज की अंतिम किरणों को समुद्र पर निहार रहा था, तभी उसके कानों में कहीं आस-पास से एक मधुर गीत गूँजी | गीत सुनते ही लहरों की एक प्रबल वेग ने उसे जगाया | वह गीत के स्वर की तरफ़ बढ़ता गया | अचानक उसकी नजर एक सुंदर युवती पर पड़ी, जो गीत गा रही थी | तभी यकायक एक समुद्री लहर ने उठकर युवती को भिगों दिया, जिसकी हड़बड़ाहट में वह गाने के बोल भूल गई | तताँरा ने बड़ी शालीनता से उस युवती को उसके मधुर गायन छोड़ने की वजह पूछी | वह सुंदर युवती तताँरा को देखकर चौंक गई और उससे ऐसे असंगत प्रश्न की वजह पूछने लगी | तत्पश्चात्, तताँरा ने उस युवती से उसका नाम पूछा | उस युवती ने अपना नाम ‘वामीरो’ बताया | उसी क्षण तताँरा ने उस युवती को अपना नाम बताते हुए कल दुबारा आने का निवेदन किया |
लीलाधर मंडलोई |
उस रोज जब तताँरा से मिलन के पश्चात् वामीरो अपने घर लपाती पहुँची तो उसे भीतर से एक प्रकार की बैचैनी महसूस होने लगी | वामीरो जो गुण अपने जीवनसाथी के अंदर सोचती थी, उसने वह सारा गुण तताँरा के व्यक्तित्व में पाया | लेकिन तुरन्त वामीरो को एहसास हुआ कि उनका संबंध परंपरा के विरुद्ध है | इसलिए उसने तताँरा को भूल जाना ही उचित समझा | दूसरे दिन से शाम के समय तताँरा लपाती के समुद्री चट्टान पर वामीरो की प्रतीक्षा में वक़्त गुजारने लगा | वामीरो भी उसका साथ देने लगी | तत्पश्चात्, हर रोज दोनों शाम में मिलते और एक दूसरे को एकटक निहारते खड़े रहते | इन दोनों के मूक प्रेम कहानी को लपाती के कुछ युवकों अनुभव कर लिया | धीरे-धीरे यह बात हवा की तरह सबको मालूम हो गई | लेकिन दोनों का अलग-अलग गाँव से होना, इस बात का ठोस संकेत था कि दोनों का विवाह नामुमकिन था | सबके समझाने के बावजूद भी दोनों अडिग रहे और हर शाम मिलते रहे | एक-दूसरे से अपने प्रेम का इजहार करते रहे |
एक बार जब तताँरा के गाँव पासा में पशु-पर्व का आयोजन हुआ, जिस पर्व में सभी गाँव हिस्सा लिया करते थे | शाम में सभी गाँव के लोग पासा आने लगे और धीरे-धीरे विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने लगे | परन्तु तताँरा की आँखें अपनी प्रेयसी वामीरो को खोजने में व्यस्त था | तभी अचानक उसे नारियल के झुंड के पीछे वामीरो दिखाई पड़ी | वह तताँरा को देखते ही जोर से रोने लगी | तताँरा भी भावुक हो उठा | वामीरो के रोने की आवाज़ सुनकर वामीरो की माँ भी वहाँ पहुँच गई और उसने तताँरा को ख़ूब बुरा-भला कहकर अपमानित करने लगी |
यहाँ तक की गाँव के लोग भी तताँरा के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे | ये सब देखकर तताँरा असहाय महसूस करने लगा | उसे इस परंपरा पर दुख हो रहा था और अपनी असहायता पर गुस्सा | अचानक क्रोध में उसने अपनी तलवार निकालकर धरती में घोंप दिया और अपनी पूरी शक्ति लगाकर खींचने लगा | जहाँ तक लकीर खींची गई थी, वहाँ धरती पर दरार आने लगी थी | देखते ही देखते द्वीप के दो टुकड़े हो गए थे | एक ओर तताँरा था और दूसरी ओर वामीरो थी | दोनों के मुँह से एक दूसरे के लिए चीख निकल रही थी | तताँरा लहूलुहान बेहोश पड़ा था | बाद में उसका क्या हुआ, यह किसी को नहीं पता | इधर वामीरो भी पागल हो गई और उसने खाना-पीना सबकुछ का त्याग कर दी | तताँरा को बहुत खोजने के बावजूद भी वह नहीं मिल सका | आज तताँरा-वामीरो दोनों नहीं हैं, लेकिन उनकी प्रेमकथा घर-घर में सुनाई जाती है | तताँरा-वामीरो की कुर्बानियों का परिणाम यह निकला कि लोग एक-दूसरे गाँवों में वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे | तताँरा की तलवार से जो दो टुकड़े हुए, उसमें दूसरा नाम लिटिल अंदमान के नाम से जाना जाता है…||
लीलाधर मंडलोई का जीवन परिचय
प्रस्तुत पाठ के लेखक श्री लीलाधर मंडलोई जी का जन्म 1954 को छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे से गाँव ‘गुढ़ी’ में हुआ था | इनकी शिक्षा-दीक्षा भोपाल और रायपुर में हुई | लीलाधर मंडलोई जी मूल रूप से कवि हैं | उनकी कविताओं में छत्तीसगढ़ अंचल की बोली की मिठास और वहाँ के जनजीवन का सजीव चित्रण है | बाद में प्रसारण की उच्च शिक्षा के लिए 1987 में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ट्रस्ट, लंदन की ओर से आमंत्रित किये गए थे | इन दिनों प्रसार भारती दूरदर्शन के महानिदेशक का कार्यभार संभाल रहे हैं | अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की जनजातियों पर लिखा इनका गद्य अपने आप में एक समाज शास्त्रीय अध्ययन भी है | उनका कवि मन ही वह स्रोत है, जो उन्हें लोककथा, लोकगीत, यात्रा-वृत्तांत, डायरी, मीडिया, रिपोतार्ज और आलोचना लेखन की ओर प्रवृत्त करता है |
तताँरा वामीरो कथा question answer
प्रश्न-1 तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है ?
उत्तर- तताँरा-वामीरो अंदमान-निकोबार द्वीप समूह की लोक कथा है |
प्रश्न-2 वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या लोककथा के अनुसार, जब वामीरो गाना गा रही थी, तभी अचानक समुद्र की ऊँची लहरों ने वामीरो को भिगो दिया, इसी हड़बडाहट में वह गाना भूल गई थी |
प्रश्न-3 तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी ?
उत्तर- बाहर के किसी गाँव या दूसरे गाँव से विवाह संबंध न स्थापित करने की रीति थी |
प्रश्न-4 तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या लोककथा के अनुसार, तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का मत था कि उसमें दैवीय शक्ति थी |
प्रश्न-5 तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर- तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में यह परिवर्तन आया कि निकोबारी दूसरे गांवों में भी आपसी वैवाहिक संबंध खुशी-खुशी स्थापित करने लगे |
प्रश्न-6 निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे ?
उत्तर- निकोबार के लोग तताँरा को इसलिए पसंद करते थे क्योंकि एक ईमानदार और बलशाली इंसान था और
मुसीबत के समय वह सबकी सहायता करने में आगे रहता था |
प्रश्न-7 प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या लोककथा के अनुसार, प्राचीन काल में पशु पर्व या अन्य गतिविधियों का आयोजन होता था | पशुओं के साथ शक्ति प्रदर्शन भी किए जाते थे | पहलवानों की कुश्ती, तलवार बाजी, लड़ाकू साँडों, शेर, तीतर, बटेर की लड़ाई, पंतगबाजी इत्यादि गतिविधि होते थे | इसके साथ ही खाने पीने की दुकानें, जानवरों की नुमाइश इत्यादि मनोरंजन के आयोजन में शामिल होते थे |
प्रश्न-8 रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है | क्यों ? स्पष्ट कीजिए |
उत्तर- प्रस्तुत पाठ या लोककथा के अनुसार, यदि तताँरा और वामीरो के प्रेम संबंध के बीच में रूढ़िवादी विचारधारा न आई होती तो दोनों के बीच दरार और बिछड़ाऊ की स्थिति उत्पन्न न होती | बेशक, रूढ़ियां और बंधन समाज को अनुशासित करने के लिए बनते हैं, किन्तु जब इनके द्वारा मनुष्य की भावना आहत होने लगे तो उसका टूट जाना ही बेहतर विकल्प होता है | समय-समय पर समाज में परिवर्तन आते रहते हैं और रूढ़ियाँ आडम्बर के रूप में जगह बनाने लगती हैं | इसलिए इनका टूट जाना ही समाज कल्याण के लिए उचित होता है |
भाषा अध्ययन
प्रश्न-9 निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए —
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खूशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना
उत्तर- मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग –
(क) सुध-बुध खोना — यकायक घर की दीवार गिरने से राधा अपनी सुध- बुध खो दी |
(ख) बाट जोहना — वो बूढ़ी माँ अपने बेटे की बाट जोह रही है |
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना – परीक्षा में टॉप नंबरों से पास होते ही मोहन की खुशी का ठिकाना न रहा |
(घ) आग बबूला होना — आज फिर श्याम बाबू अपने धोखेबाज नौकर को देखकर आग-बबूला हो गए |
(ङ) आवाज़ उठाना — आडम्बरों के विरुद्ध आवाज़ उठाना अब मेरा मक़सद बन गया है |
प्रश्न-10 नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए —
भय, मधुर, सभ्य, मूक, तरल, उपस्थिति, सुखद |
उत्तर- शब्दों के विलोम –
• भय — अभय
• मधुर — कर्कश
• सभ्य — असभ्य
• मूक — वाचाल
• तरल — ठोस
• उपस्थिति — अनुपस्थिति
• दुखद — सुखद |
प्रश्न-11 वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए —
(क) उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था |
(ख) तताँरा को मानो कुछ होश आया |
(ग) वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता |
(घ) तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी |
(ङ) उसकी व्याकुल आँखें वामीरों को ढूँढने में व्यस्त थीं |
उत्तर- पदबंधों का प्रकार –
(क) विशेषण पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) क्रिया विशेषण पदबंध
(घ) संज्ञा पदबंध
(ङ) संज्ञा पदबंध |
तताँरा वामीरो कथा पाठ के कठिन शब्द / शब्दार्थ
• उफनना – उबलना
• शमन – शांत करना
• घोंपना – भोंकना
• विकल – बैचैन
• संचार – उत्पन्न होना
• असंगत – अनुचित
• सम्मोहित – मुग्ध
• झुंझुलाना – चिढ़ना
• अन्यमनस्कता – जिसका चित्त कहीं और हो
• निनिर्मेष – बिना पलक झपकाये
• अचम्भित – चकित
• रोमांचित – पुलकित
• निश्चल – स्थिर
• अफवाह – उड़ती खबर
• श्रृंखला – कम्र
• आदिम – प्रारम्भिक
• विभक्त – बँटा हुआ
• लोककथा – जन-समाज में प्रचलित कथा
• आत्मीय – अपना
• विलक्षण – साधारण
• बयार – शीतल मंद हवा
• तंद्रा –ऊँघ
• चैतन्य – चेतना |