आम फिर बौरा गये
गर्मिन की ऋतुअन मैं,
अब आमन के राज भये।
आम्र तरु सज धज के,
एक नओ रूप पाय लौ।
आम फिर बौरा गये |
आम फेरि बौर गये।।1
काली घटा घट-घट के,
निचुक-निचुक बरसाए गई।
आम्र देखे उनकौ तौ,
थोरो-थोरो घबराए गये।
आम फेरि बौर गये।।2
शीतलिया पवन चली,
भौंर तौ लहराए गये।
लहराये गये पत्तौं कौ,
थोरे बहुत गिराये गये।
आम फेरि बौर गये।।3
थोरे-थोरे छोटे हे,
लटकनियां बजाये रहे।
थोरे-थोरे बड़े भए,
बचे खुचे टपक गए।
आम फेरि बौर गये।।4
पत्ते तौ पत्ते संग,
देखो कैसे डोल रहे।
देखै अपनी डलियन पै,
झूम-झूम झूम रहे।
आम फेरि बौर गये।।5
बाल सारे मस्तिन मैं,
देख-देख हार गए।
झुके-झुके तोड़ लए,
ऊँचे-ऊँचे छोड़ दए।
आम फेरि बौर गये।।6
और भई गर्मी तौ,
चित्तियाँ पड़न लगी।
तितली मधुमक्खी सब,
उनकी ख़ुशबू सूँघ रहे।
आम फेरि बौर गये।।7
अमिया तौ हर्षित भई,
अब हमारे ठाठ भए।
सभी फल तौ फल ही रहे,
और हम सबन के राजा भए।
आम फेरि बौर गये।।8