नाग पंचमी की पूजा विधि और व्रत कथा

नाग पंचमी की पूजा विधि और व्रत कथा 
Nag Panchami Pooja and Nag Panchami Story in Hindi


नाग पंचमी की पूजा विधि और व्रत कथा Nag Panchami Pooja and Nag Panchami Story in Hindi नागपंचमी या भैया पंचमी महत्व, कथा, व्रत पूजा विधि Nag Panchami Vrat, katha puja vidhi, Mahtav in hindi Nag Panchami Story in Hindi, Kahani, Katha – नाग पंचमी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पंचमी के नाम से विख्यात है। इस दिन नागों का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करके साँपों को दूध पिलाया जाता है। गरूड़ पुराण में ऐसा सुझाव दिया गया है कि नागपंचमी के दिन घर के दोनों बगल में नाग की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाए। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं।अर्थात् शेषनाग आदि सर्पराजाओं का पूजन पंचमी को होना चाहिए।

नाग पंचमी व्रत कथा 

नाग पंचमी
नाग पंचमी
प्राचीन दन्त कथाओं में अनेक कथाएँ प्रचलित है। उनमें से एक कथा इस प्रकार से है-किसी राज्य में एक किसान रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल चलाते समय साँप के तीन बच्चे कुचलकर मर गये। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर सन्तान के हत्यारे से बदला लेने के लिए चल दी। रात्रि में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन नागिन किसान की पुत्री को डसने के लिए पहुँची तो किसान की पुत्री ने नागिन के सामने दध से भरा कटोरा रखा और हाथ जोड़कर क्षमा माँगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ला पंचमी थी।तब से नागों के प्रकोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।
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