प्रिवी पर्स

प्रिवी पर्स

                         
हमारे प्रजातंत्र के दीर्घ अनुभव में यह बात आती है कि लोक कल्याण के संकल्प को ध्यान में रखकर कानून अर्थात सर्वोच्च कानून में समानता आदि की बातें  करके राजा लोगों से प्रिवी  पर्स ले लिए गए तब आज के संसद सदस्यों को प्रिवी पर्स जैसी सुविधाएं किस प्रयोजन से दी गई । जो शर्तें जनसेवक के लिए लागू हो सकती है, उन्हें कमी बेशी करके उन पर लागू क्यों नहीं की जा सकती ?
विकास निधि का मनमोहिनी कीचड़ गुण इन बंदरों के बीच क्या फेंका गया कि इनकी प्रतिस्पर्धा गलत दिशा में जा रही है।
इससे एक कभी की बहुत पहले धर्मयुग में छपी एक कविता याद हो उठती है – 
 ” तुम भी विषधर ,हम भी विषधर
आपस में हम सगे सहोदर
मणियों पर अपना डेरा हो”
    
अगर पंत प्रधानजी यह कहते हैं कि MP कम से कम मेरे फोन उठा लिया करें अर्थात वे उनके भी फोन नहीं सुनना चाहते तो ऐसे में बताएं कि आम आदमी इन राजपुरुष जनप्रतिनिधियों से तो मिले तो मिले कैसे?एक सूबे की सरकार ने तो लाल बत्ती राजनेताओं की बंद करा दी और VIP जैसा कृत्रिम कवच कुंडल वापस ले लिया। कई राज्य सरकारों के अच्छे कामों की चर्चा अक्सर नहीं होती और उनका अनुसरण भी नहीं होता।

सर्किल रेट – 

जमीन बिकवाली पर स्टाम्प पेपर के रूप मे 3 साल पहले जमीनो के भाव आसमान छू रहे थे तब कई राज्य सरकारो ने नोट बंदी से ठीक पहले  सर्किल रेट बढाए थे।नोट बंदी के बाद की। जमीनो के रेट की। इस ठहराव की स्थिति मे  जब बाजार मे क्रेता बहुत कम है ,  तब उन्ही सर्किल रेट का जारी रखना क्या उचित है ?

कश्मीर – 

सभी को पता है कि कश्मीर में केंद्रीय सैन्य बल तैनात है। सेना  के शिविरों के पास नागरिकों की रिहायिश या आवाजाही नहीं होनी चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से भी यही उत्तम है। यदि सेना के जवान और नागरिक के बीच मनमुटाव या फसाद बढ़ती है और यदि जवान को जेल जाना पड़े तो यह जेलें तो राज्य के नियंत्रण में है क्या यह उचित नहीं जान पड़ता कि राज्य के नियंत्रण वाली एसे राज्यो की जेलों में बंद केंद्रीय बलके सदस्यों के साथ कहीं इंसाफ में कमी तो नहीं होती ? 

राज चिन्ह – 

 मीनार पर क्रॉस
 मीनार पर क्रॉस
जिस जमीन पर राजपथ के पश्चिमी छोर पर राष्ट्रपति भवन बना है यह सब जमीन और इसके आसपास जयपुर के महाराजा ने उपहार स्वरूप दी। पहले गवर्नर जनरल राजगोपालाचारी उस हिस्से में नहीं रहे जिसमें माउंटबेटन रहा करते थे लेकिन गणराज्य बन जाने के बाद इस भवन के ठीक सामने की मीनार पर क्रॉस का होना विचलित कर देता है इसलिए कि हम संप्रभु हैं और हमारा राज चिन्ह अशोक की स्तंभ पर बनी शेर की मूर्तियां है प्रजातंत्र के इतने वर्षों बाद भी मेरा यह विनम्र सोच है कि राष्ट्रपति के आवास के समक्ष क्रॉस नहीं , बल्कि भारतीय राज्य चिन्ह हो तो ज्यादा बेहतर रहेगा ।


मुगलसराय – 

यह नाम अब पंडित दीनदयाल जी के नाम पर हो गया है। इसी तर्ज पर गाजियाबादऔर नई दिल्ली के बीच जिस तरह एक्सप्रेस और लोकल ट्रेन रेंगती हैं गाजियाबाद का भी नाम बदलने पर शायद ट्रेन गतिमान हो जाएं ?

दिल्ली की जमीदारीं – 

1911 में जब जॉर्ज पंचम दिल्ली आए लुटियन ने उनके लिए नई दिल्ली बसाई उसका पूरा लेखा-जोखा भूमि एवं विकास कार्यालय पर निर्माण भवन में है जिसमें से कुछ जमीन डीडीए और कुछ जमीन हुडको के पास है। हाल में एल एन्ड डी  कार्यालय ने ट्विटर पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है। 
इस कार्यालय ने ट्विटर पर चित्र सहित AIIMS और कई ऐतिहासिक जगहों भवनो जिनकी वह देखभाल करता है की जानकारी दी है यह एक स्वागत योग्य कदम है।

श्री समय सिह – 

रजपुरा ( सिकन्दराबाद) , दनकौर के निकट आध्यात्मिक विषयो पर। इतनी विशद जानकारी रखते है कि इनको पंडित बोलना मुझे सटीक लगता है ।
 यह लेखक के निजी विचार हैं। इस दरमियान यदि सूरत-ए-हाल बदल जाए तो उसे अच्छा समझिए. 
– क्षेत्रपाल शर्मा,
19/17, शांतिपुरम, सासनी गेट, आगरा रोड ,
अलीगढ़ 202001

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