नया रास्ता उपन्यास की शीर्षक की सार्थकता
नया रास्ता |
अग्रवाल जी द्वारा लिखा गया एक सामाजिक यथार्थ परक उपन्यास है .इस उपन्यास में मध्यमवर्गीय समस्याएं को दर्शाएँ हैं ,जिसमें विशेष कर स्त्री वर्ग को क्षति पहुँचती है .उपन्यास की नायिका मीनू अपने साँवलेपन और कम दहेज़ के कारण बार – बार विवाह के अस्वीकृत हो जाती है .अमित के परिवार द्वारा अस्वीकृति पाने पर उसने शादी न करने का निश्चय लिया .उसने वकालत की परीक्षा में कड़ी मेहनत की और प्रथम श्रेणी में वकालत पास की .मेरठ में वह वकालत करनी लगी .अपनी मेहनत और लगन से वह अपना कार्य करने लगी .साधारण सी दिखने वाली मीनू की रोबीली और जोशीली आवाज से उसकी वकालत में धाक जम गयी .कालांतर में अमित द्वारा क्षमा याचना माँगे जाने पर वह अमित क्षमा कर देती है .मीनू अमित के विवाह प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती है .