क्या मोल है मेरे आँसू के
दुनिया के लिए ये फर्जी हैं
संकेत मेरे मन के हैं ये
जिस पर नहीं मेरी मर्जी है
आक्रोश तो आँसू आते हैं
दुखी ह्रदय भी नम कर जाते हैं
खुशियों में भी अनायास
कुछ बात ये कह जाते हैं
ये बातें हैं ,निजी हैं अनुभव
जुड़ी इससे मेरे हर्ष और विषाद
हर आँसू से झंकृत होते
मेरे अस्तित्व के अंतर्नाद
मैं हर आंसू के अनुभव को
नित नए अर्थ दे जाता हूँ
फर्जी ही सही तेरी नज़रों में
मैं आगे कदम बढ़ाता हूँ
ये मौन अभिव्यक्ति ही सही
निःशब्द निवेदन मन की है
ये अश्रु पूर्ण मेरे नैनों में
शक्ति अपार सृजन की है ………………….