मुहावरे और उनका प्रयोग (४)

५१ . टका सा जबाब देना ( साफ़ इनकार करना ) – मै नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया .
५२.टस से मस न होना ( कुछ भी प्रभाव न पड़ना ) – दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँ , परन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे हैं .
५३.टोपी उछालना (अपमान करना ) – अपने घर को देखो ,दूसरों की टोपी उछालने से क्या लाभ ?
५४. डकार जाना ( हड़प जाना ) – सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया .
५५. तिल का ताड़ बनाना (छोटी बातों को बढ़ा देना ) – मै समझ रहा हूँ कि तुम तिल को ताड़ बनाकर झगड़ा कर रहे हो .
५६.तूती बोलना (प्रभावशाली होना ) – सत्ता में सोनिया गांधी की तूती बोल रही थी .
५७.थूक कर चाटना (बात देकर फिरना ) – मै राम की तरह थूक कर चाटना वाला नहीं हूँ.
५८.दम टूटना (मर जाना ) – शेर ने एक  ही गोली में दम तोड़ दिया .
५९.दाल में काला होना (संदेह होना ) – हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे -धीरे बातें कर रहें है, उससे मुझे दाल में काला लग रहा है .
६०.बाजी मारना (जीत पाना ) – आज आपने खेल में बाजी मार लिया .
६१.बात बनाना (बहाना बनाना ) – तुम हर काम में बात बनाना जानते हो .
६२.भीगी बिल्ली होना (बिलकुल डर जाना) – वह अपने पापा के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है .
६३.मिट्टी के मोल (बहुत सस्ता ) – यह मकान मिट्टी के मोल बिक गया .
६४.मुट्ठी गरम करना (घूस लेना ) – चलो मुट्ठी गरम कराओ, आज ही काम करवा देता हूँ.
६५.मुँह बंद कर देना (शांत कराना) – तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो .
६६. मीठी छुरी (छली मनुष्य )- वह तो मीठी छुरी है ,मैं उसके बातों में नहीं आता हूँ।
६७. मुँह  काला होना – अपमानित होना – उसका मुँह  काला हो गया है ,अब वह कैसे किसी के सामने आएगा।
६८. मुँह  की खाना ( पराजित होना ) – पाकिस्तान ,भारत के आगे हमेशा  मुँह  की खाता रहता है।
६९. मख्खन लगाना ( चापलूसी करना ) – साहब को मख्खन लगाने के बाद भी मेरा काम नहीं बना।
७०. मगरमच्छ के आँसू  ( दिखावटी सहानुभूति ) मेरे घर में चोरी हो जाने पर रहीम चाचा मगरमच्छ के आँसू बहाने लगे।
७१. न रहेगा बॉस न बजेगी बाँसुरी – (कारण का ही नाश कर देना) – अपने मोहल्ले को  मच्छरों के प्रकोप से बचाने  के लिए लोग गन्दी नालियों की सफाई में जुट गए। इस तरह न रहेगा बॉस न बजेगी बाँसुरी।
७२. राम मिलायी जोड़ी ,एक अँधा एक कोढ़ी – (दो मनुष्यों का एक सामान होना) – राम और श्याम की अच्छी जोड़ी मिली।  दोनों चोर हैं।  इस तरह ठीक ही कहा है  राम मिलायी जोड़ी ,एक अँधा एक कोढ़ी।
७३. लकीर के फ़क़ीर – (पुरानी परम्परों का पालन करने वाला) – कबीरदास लकीर के फ़क़ीर नहीं थे तभी तो उन्होंने भक्ति मार्ग द्वारा उन्नति की राह निकाली।
७४. लाठी टूटे न साँप  मरे – (किसी की हानि हुए बिना स्वार्थ सिद्ध हो जाना)- राम किसी को हानि पहुँचाए  बिना काम करना चाहते है।  जैसे – लाठी टूटे न साँप  मरे।
७५. लालच बुरी बला  – (लालच से बहुत हानि होती है) – सभी जानते है कि लालच बुरी बला है ,फिर भी लालच में पड़  जाते हैं।

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