भूख कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना व्याख्या सारांश प्रश्न उत्तर

भूख कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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भूख कविता की व्याख्या 

जब भी 
भूख से लड़ने 
कोई खड़ा हो जाता है 
भूख कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना व्याख्या सारांश प्रश्न उत्तर

सुंदर दीखने लगता है। 

झपटता बाज़
फन उठाए साँप, 
दो पैरों पर खड़ी 
काँटों से नन्हीं पत्तियाँ खाती बकरी, 
दबे पाँव झाड़ियों में चलता चीता, 
डाल पर उल्टा लटक 
फल कुतरता तोता, 
या इन सबकी जगह 
आदमी होता। 
जब भी 
भूख से लड़ने 
कोई खड़ा हो जाता है 
सुंदर दीखने लगता है। 
व्याख्या – श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा लिखित कविता भूख एक लघु कविता है जिसमें कवि ने अनेक जीवों के बिम्ब अंकित किये हैं जो जीवन संघर्ष में जुटे हैं। कवि कहता है कि सौन्दर्य इसी संघर्ष में है। आपका कहना है कि जब कोई प्राणी भूख से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है तो वह सुन्दर दिखने लगता है। अपने शिकार पर झपटता हुआ बाज़ ,फन उठा कर ललकारता हुआ साँप ,दो पैरों पर खड़ी होकर ऊँची झाड़ी से पत्तियां खाती हुई बकरी ,अपने शिकार के पीछे दबे पाँव चालाकी से चलता हुआ चीता ,किसी वृक्ष की टहनी पर उल्टा लटक कर फल कुतरता हुआ तोता अथवा इन सब की तरह रोज़ी रोटी के संघर्ष में लीन मनुष्य। जब कभी ये सब भूख से लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं तभी सुन्दर दीखते हैं। 
कवि का मानना है कि कवि ने यह स्पष्ट किया है कि जीवन संघर्ष में रत सभी प्राणी सुन्दर दीखते हैं। संघर्ष ही सौन्दर्य को जन्म देता है। 
विशेष – निम्नलिखित विशेषताएं हैं – 
  • कवि ने सौन्दर्य को संघर्ष से जोड़कर अपनी प्रगतिवादी विचारधारा का परिचय  दिया है। 
  • मुक्त छंद में साधारण शब्दों में गहन भाव व्यक्त किये गए हैं। 
  • कवि महोदय ने अनेक पक्षियों के स्थिर तथा गत्यात्मक दृश्य विम्ब अंकित किये हैं ,जो सुन्दर बन पड़े हैं। 

भूख कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के प्रश्न उत्तर

प्र. भूख से लड़ने वाला व्यक्ति क्यों सुंदर दिखने लगता है ?
उ. भूख से लड़ने वाला व्यक्ति इसीलिए सुन्दर लगता है क्योंकि वह जीवन संघर्ष में लीन हो जाता है। जो प्राणी आजीविका के साधनों के लिए संघर्ष करता है वह स्वयं सुंदर लगने लगता है।  
प्र. “तोते और आदमी के भूख से संघर्ष करने के साम्य करतबों का वर्णन कीजिये। “
उ. तोता ,फल को खाने के लिए अनेक बारी टहनी से उल्टा लटक कर फल को चोंच मारता है और उसे खाता है। ऎसी स्थिति में तोता सुन्दर लगता है। इसी प्रकार मनुष्य भी बाजीगरी करता है। अपना पेट भरने के लिए सर्कस में उल्टा सीधा लटकता है। 
प्र. बाज़ ,साँप ,चीते और बकरी की स्थिति में आदमी भूख से कैसे लड़ सकता है ?
उ. बाज़ के रूप में मनुष्य एकाग्रता के साथ अपने लक्ष्य पर झपट सकता है और उसे पाने का प्रयास कर सकता है। साँप के रूप में आदमी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए चुनौती दे सकता है और शत्रुओं को ललकार सकता है। चीते के रूप में मनुष्य कुशलतापूर्वक अपने शिकार पर टूट सकता है। बकरी की स्थिति में मनुष्य अपनी शक्तिभर संघर्ष कर सकता है। इस प्रकार विभिन्न पशुओं से मनुष्य संघर्ष करना सीख सकता है। 

भूख कविता का सारांश

कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी द्वारा लिखित कविता भूख में जीने की लालसा को जीवन की सबसे सुन्दर बात कहते हैं। सृष्टि में जहाँ कहीं भी ,जो भी प्राणी ,जीने के लिए संघर्ष करता दीखता है ,वह कवि को अच्छा लगता है। शिकार पर झपट्टा साँप ,दो टांगों पर खड़ी ,कंटीली झाडी से पत्ते खाती बकरी ,दबे पाँव शिकार के पीछे चलता चीता ,फल कुतरता ,उल्टा लटका तोता सुन्दर दीखता है। आजीविका कमाने के लिए संघर्ष करता ,भूख से लड़ता मनुष्य भी कवि को सुन्दर लगता है।

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