चिड़िया तूने यह क्या कर दिखाया

चिड़िया

चिड़िया, नाजुक,
छोटी सी काया
फुदक फुदक कर अपना संसार बनाया
तिनका तिनका चुनकर घोंसला बनाया
करी रक्षा, हर मौसम से उसे बचाया
आंधी ,तूफान ,हाय
जोर ना दिखाए
हर समय मन में यही विचार आया
नदी कलरव बहती है
मेरी प्यास बुझाती है
वृक्ष घना वृक्ष देता मेरी छाया
जिस के सानिध्य में मैंने संसार बसाया
चिड़िया
चिड़िया 
रुकना कभी न सीखा मैंने
मोटा होना क्या ना देखा मैंने
हरदम चहकना
हरदम चूर्कना
ची ची कर संगीत सुनाना
अच्छा हो या बुरा कभी ना हार मानना
रंगीन रंगों से कभी-कभी
पंखों को सजाया
विश्व सुंदर तम का भी गहना पाया
कोई कोई मुझे राष्ट्र पक्षी कहता
कोई कोई मुझे चालाक कहता
चुकता कभी ना वार उसका
शातिर बाज सा दृश्य उसका
कभी कन कन ,कभी मांस ,मच्छी
हर घास फूस ,कभी रोटी कच्ची
जो मिल जाए उसी को नियति बनाया
थोड़ी में सारा, यही संतोष कमाया
एकाकी को बनाया सहारा
फुदक फुदक कर संसार बनाया
तिनका चुन-चुन कर घोंसला बनाया
चिड़िया, उपमा अलंकार
सब इसी नाम में समाया
चिड़िया तूने यह क्या कर दिखाया

– सोनिया अग्रवाल
कुरुक्षेत्र ,हरियाणा

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