जीने की तैयारी
काश!
मेरा वश चलता तो
मैं इस समय के पहिए को
उल्टा घुमा देता
और जीवन को
नए सिरे से
फिर से जी लेता!
चुन चुन कर
मैं तुमको दिखाता
इस जीवन को जीने में
कहाँ कहाँ हुई थी चुक!
हम तो जीने की
तैयारी करते रहे
और समय ने उम्र की चादर ही खींच लिया।
अपने पास
कहाँ था समय कि
हम फूँक फूँक कर
कदम रखते
जीवन के हर लम्हों में!
इस भागदौड
एवं रस्साकसी में
हम जीए ही कहाँ?
– वैद्यनाथ उपाध्याय