जीवन में खेलों का महत्व

जीवन में खेलों का महत्व 
Essay on Importance of Games in Hindi

आज के समय में खेल विद्यालय शिक्षा के अविभाज्य अंग बन गए हैं . हाल के दिनों में शिक्षाविदों ,अध्यापकों और स्कूल प्रशासकों ने विद्यालयी  जीवन में खेलों और क्रीडा के महत्व को अच्छी तरह से महसूस किया है .एक जमाना था जब खेलों को मांसपेशियों के लिए थोड़ा व्यायाम करने और छात्रों को विश्राम का समय देने के लिए

खेल
खेल

अवकाश का पीरियड भर माना जाता था किन्तु आज इसके मूल्य को अच्छी तरह स्वीकार कर लिया गया है और इसे स्कूल के पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग माना जाता है .

खेल प्रतिभाओं का विकास – 

खेलों को स्कूल की पढ़ाई के साथ जोड़े जाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण या उद्देश्य है छात्रों की जन्मजात खेल प्रतिभा का विकास करना .यदि उचित अवसर प्रदान किये जाएँ तो उर्जा और उत्साह से भरे खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं .स्कूल केवल एक स्थान मात्र नहीं जहाँ केवल छात्र की मानसिक क्षमताओं का ही विकास किया जाता है बल्कि वह ऐसा स्थान भी है जहाँ वे अपनी छुपी हुई खेल प्रतिभाओं का भी विकास कर सकते हैं .हमारे देश की पी.टी .उषा ,सुनील गावस्कर ,सचिन तेंदुलकर ,सानिया मिर्जा  आदि कोई चाँद से उतरी हुई खेल प्रतिभाएं नहीं है .उन्होंने अपने विद्यालयी जीवन के दौरान अपनी प्रतिभा को जाना पहचाना और तराशा था . 


राहत और उर्जा का स्त्रोत – 

विद्यालयी जीवन की एकरसता को तोड़ने में खेलों के महत्व की अनदेखी नहीं की जा सकती .सामान्य तौर पर कई पीरियड की पढाई के बाद खेलने का अवसर दिया जाता है .यह छात्रों को थोड़ा विश्राम लेने में सहायता करता है .यह उन्हें उत्साह और नयी उर्जा प्रदान करता है .खेलों के माध्यम से मन मस्तिष्क को कुछ देर के लिए पढ़ाई के दबाव से मुक्त रखने से बच्चे की सीखने की प्रक्रिया को तेज़ी मिलती है .आज हमारे बच्चे पढाई के अत्यधिक बोझ से दबे होते हैं .इस सन्दर्भ में खेल उनके लिए राहत और उर्जा का स्त्रोत बन सकते हैं . 

खेलों के शारीरिक लाभ – 

खेलों के शारीरिक लाभ के पक्ष की भी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए .जब बच्चे आस पास दौड़ते हैं ,घूमते – फिरते हैं और व्यायाम करते हैं और खेलों के जरिये खुली हवा में विभिन्न प्रकार की खेल गतिविधियों में लगे रहते हैं तो इससे शरीर को लाभ मिलता है .उनका शरीर विकसित होता है ,मांसपेशियों का विकास होता है और मस्तिष्क को विश्राम मिलता है .यह उन्हें शारीरिक रूप से फुर्तीला और स्वस्थ्य बनाता है .डॉक्टर अक्सर करते हैं कि जो बच्चे अपनी अधिकांश समय आलस्य में अथवा बहुत अधिक पढ़ाई और अध्ययन में खर्च कर बिता देते हैं वे शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों की तुलना में शारीरिक परेशानियों के ज्यादा शिकार बनते हैं . 

अनुशासन की भावना – 

खेलों और क्रीडा का एक  और अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है छात्रों या खिलाडियों में अनुशासन की भावना भरना .खेलों और प्रतियोगिताओं में बच्चे नियमों से आबद्ध रहना ,रेफरी के निर्णय को मानना और उकसाए जाने पर अपनी भावनाओं में नियंत्रण रखना जैसी बातें सीखते हैं .खेलों ,विशेष रूप से खुले मैदानों में आयोजित होनी वाली प्रतियोगिताओं में काफी हद तक स्व – नियंत्रण ,आज्ञाकारी व्यवहार और अनुशाषित सहभागिता की आवश्यकता होती है .यह उन्हें जीत ही नहीं हार को भी सम्मानपूर्ण तरीके से स्वीकार करने की शिक्षा देती है . 


जीवन को जीवंत और उत्साहपूर्ण – 

हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं हैं कि आने वाले दिनों में स्कूल के पाठ्यक्रमों में खेलों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और वह स्वयं एक अकादमिक या शैक्षनिक विषय बन सकता है .शैक्षनिक पहलू के अलावा खेल छात्रों में अनुशासन का गुण रोपने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और कैरियर के अच्छे अवसर भी प्रदान करते हैं .ये विश्राम और मनोरंजन प्रदान करते हैं और विद्यालयी जीवन को जीवंत और उत्साहपूर्ण बनाने के साथ – साथ छात्रों को शारीरिक रूप से फिट और मानसिक रूप से फुर्तीला बनाये रखते हैं . 
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