दादा ठाकुर की दुनिया

दादा ठाकुर की दुनिया 

ह कहानी हमारे गाँव के ठाकुर साहब की हैं । गाँव बाले उनको उनके पीछे पगला ठाकुर और उनके सामने दादा ठाकुर कहते हैं। उनकी उम्र लगभग अस्सी साल की हैं। मैं जो कि बहुत प्यार और उनका बहुत सम्मान करता हूं। दादा ठाकुर ने मेरी बहुत मदद की हैं। में जानता हूं कि दादा ठाकुर को पर्सनैलिटी डिसऑर्डर डिरियलाइजेशन हैं। इसके साथ ही उनको अवसाद, चिंता नींद ना आने की बीमारी हैं। ऐसे लोगो के सोचने और व्यवहार करने का तरीका पूरी तरह से सामान्य होताहैं हालांकि, उनके पास दुनिया के लिए एक दृष्टिकोण होता हैं जो, दूसरों की तुलना में काफी अलग हो सकताहैं । 
दो तीन साल पहले की बात हैं की किसी ने कह दिया ” ठाकुर दादा , आपके ऐश हैं”। बस ठाकुर दादा बिफर गए। बह चिल्ला चिल्ला कर बोल रहे थे। ” ऐश किसी के हो सकते हैं क्या ? पहले सलमान समझता था की ऐश उसके हैं। फिर विवेक समझता था की ऐश उसके हैं। अब अभिषेक समझता हैं की ऐश उसके हैं। पता नहीं ऐश किस के हैं। ” मेंने उनको बड़ी मुश्किल से समझा या कि बह ऐश वेश के चक्कर में ना पड़े। अपनी दबाई टाइम से लेते रहे। नहीं तो मुश्किल हो जाएगी। 
पिछले साल दादा ठाकुर की पत्नी ने उनको बहुत बुरा भला कहा। बह बोली ,” तुम तो अनपढ़ थे ही। तुमने अपने बेटों को भी अनपढ़ बना दिया। कम से कम पोते ही पढ़ जाएं। अतः : शहर में शिफ्ट हो जा ओ । दादा ठाकुर को ना चाहते हुए भी शहर में शिफ्ट होना पड़ा। 
दादा ठाकुर की दुनिया

शिफ्ट होने के बाद बह उनसे मिलने शहर उनके निवास स्थान गया और दादा ठाकुर की कुशलता के बारे में पूछा। दादा ठाकुर बड़े दुखी दिखाई पड़ रहे थे। उदास होकर बोले ,” यहाँ किसी को कोई दुआ सलाम नहीं करता हैं। ना करो , मगर दूसरे की दुआ सलाम का जबाब तो दो । कुछ तो बोलते ही नहीं और कुछ ऐसी गर्दन हिलाते हैं ,मानो उनकी गर्दन में दर्द हो ” मेंने दादा ठाकुर को बड़ी मुश्किल से समझा या कि शहर के लोग बहुत बीजी रहते हैं। इस कारण बह कम शब्दों का प्रयोग करते हैं और संकेतों से काम चलाते हैं।
दादा ठाकुर चुप हो गए। फिर बोले यहाँ की बहू पांव नहीं छूती हैं जब की हमारे गाँव में हर बहू पांव
छूती थी , भले बह किसी भी जाति या कुटंब की हो। मेंने दादा ठाकुर को समझा या कि शहर की बहू जींस पहनती हैं और जींस में पावँ छूना मुश्किल होता हैं। इसलिए शहर की बहू पावँ नहीं छूती हैं। दादा ठाकुर गुस्से में तिलमिलाए और बोले ,” कम से कम मुंह से तो बोल सकती कि दादा ठाकुर,पावँ छूती हूँ”। बड़ी मुश्किल से मेंने दादा ठाकुर को समझा या कि शहर की बहू अंग्रेजी बोलती हैं। जब बह अंग्रेजी में बोलेंगी कि दादा ठाकुर आपके पावँ छूती हूँ , तब भी आपकी समझ में नहीं आएगा। इस मसले को यही ख़त्म करो। दादा ठाकुर चुप हो गए | 

कुछ महीने पहले दादा ठाकुर गांव आये थे। मेंने उनसे पूछा कि सब ठीक हैं। बड़ी निराश मुद्रा में बोले ,” यार अशोक ,एक महीने पहले भतीजे का तलाक हो गया। सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह हैं कि उसने पांच साल रिलेशनशिप में रह कर छटे साल में शादी की, और छटा साल पूरा भी हो नहीं पाया ,उसका तलाक हो गया | पांच साल रिलेशनशिप में रह कर उसने धूल फांकी या जंगल की ख़ाक छानी। आखिर बह अपनी शादी को बचा किंयो नहीं पाया। ” इससे तो अच्छा होता कि बह रिलेशनशिप में ही रहता और शादी नहीं करता। मेंने दादा ठाकुर को समझा या कि इसमें परेशान होने जैसा कुछ नहीं हैं। हमारे यहाँ रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चो को सामाजिक ,धार्मिक और कानूनी मान्यता नहीं हैं। इसलिए शादी जरूरी हैं। दूसरे तलाक को अब बुरा नहीं माना जाता हैं , इसको एक अनुभव की तरह देखा जाता हैं। जितनी ज्यादा तलाक उतना ज्यादा अनुभव। 
मेंने दादा ठाकुर को समझा या कि हमारे एक नेता जी हैं जो बहुत ही सम्मानित हैं ,बहुत ज्यादा पढ़े लिखे हैं , विदेश में रहें हैं तथा बहुत ही ज्यादा पढ़ी लिखी औरत से शादी की और तीन बार उनका डाइवोर्स हो गया हैं। अब पता नहीं ऐसा उनके साथ अनुभव की कमी से हुआ या ईश्वर की कृपा से। सुनने में आया हैं कि बह चौथी बार प्रयास कर रहे हैं। और तो और अब तलाक पर लोग डांस करते हैं और खुश होते हैं। आपने देखा होगा कि लड़के लड़कियां पार्टी में डांस करते हैं और गाना गाते हैं ” संया जी से ब्रेक उप हो गया………”|बड़ी मुश्किल से दादा ठाकुर शांत हुए।
अभी पिछले हफ्ते में दादा ठाकुर से मिलने शहर गया। बह बड़ी ग़मग़ीन अवस्था में बेटे हुए थे। मेंने पूछा दादा ठाकुर किं हुआ। बह रोने लगे। बड़ी मुश्किल से बोले ,” युवा अजीबोगरीब फैशन करने लगे हैं और घुटनों पर फटी जींस पहन कर घूमते हैं। ।युवा की भागीदारी समाज और देश के निर्माण में अभूतपूर्व हैं। विशेषकर लडकिंयो को फटी जींस नहीं पहन नी चाहिए। ” मेंने उनको गुस्से में समझाते हुए कहा ,” आजकल रिप्ड यानी फटी जींस पहनने का ट्रेंड हैं। फैशन के दीवाने कई लोग इस तरह की जींस पहने दिख जाते हैं।इन फटी हुई जींस की कीमत नॉर्मल जींस से काफी ज्यादा होती हैं रिप्ड जींस आधुनिक फैशन में आती हैं। यह आधुनिक कला की निशानी हैं और आधुनिकता की प्रतीक हैं। 
दादा ठाकुर तुम शहर में अपने पोतों को पढ़ा ने आये हो , बही काम करो ,ज्यादा बक बास मत करो ” अभी एक मुख्य मंत्री इस तरह की बक बास में फंस चुका हैं। बड़ी मुश्किल से उसकी जान बची हैं। अभी भी रात को ठीक से सो नहीं पाता हैं। महिला संगठनों की भीड़ बैनर लिए और मुर्दाबाद के ना रे लगाते हुए सपने में दिखाई देती हैं। यह तब हैं कि बह एक शक्तिशाली पार्टी का नेता हैं। आर एस एस और तमाम हिन्दू संघटन उसके साथ थे। दादा ठाकुर तुम्हारी क्या बिसात हैं ?
दादा ठाकुर फिर जोर जोर से रोने लगे और सुबकते हुए बोले ,” मेरे भाई अशोक , में समझता हूं। मुझे इससे ज्यादा मतलब भी नहीं हैं। में तो खुद मानता हूं कि हजारों हजारों साल पहले हमारे पूर्बजों के पूर्बज नंगे रहते थे और शरीर ढकने के लिए जानबरो की खाल और पेड़ों की पत्तियां प्रयोग में लाते थे ।
किन्तु हम को अफ़सोस उस समय का हो रहा हैं जब बहुत पहले हमारे खेतों में हजारों मजदूर और उनकी बेटी , बहू काम करते थे। गरीबी के कारण उनके कपड़े फटे हुए होते थे। उनको देख कर हमारा दिल रोता था और हम भगवान को इसके लिए दोषी मानते थे। हमने भगवान को बहुत गालिंया दी हैं। अगर हमें पता होता कि यह फटे कपड़े आधुनिकता की पहचान बनेंगे ,तब हम कभी भगवान को गाली नहीं देते।
को रना के कारण अभी जल्दी दादा ठाकुर से मुलाकात होना सम्भव नहीं हैं। किन्तु बह मेरे बहुत अज़ीज हैं। में उनसे जल्दी मिलूंगा और फिर आपको उनके बारे में बताऊंगा। तब तक आप अपना ख्याल रखिये। मास्क पहिनए। भीड़ में मत जाए। सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखे। अपने हाथ साबुन से धोते रहे या सेनेट्रीज़ करते रहे। 
– अशोक कुमार भटनागर 
रिटायर वरिष्ठ लेखा अधिकारी 
रक्षा लेखा विभाग , भारत सरकार

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