दिल का हर सपना टूटता चला गया
मुझे तडपाकर वों गैरों से प्यार कर रही है .
मेरी महबूबा मेरे मरने का इंतज़ार कर रही है ..
ये शायरी नहीं तेरी बेवफाई का नजराना है .
अब तो कब्र ही मेरी मंजिल और कब्र ही मेरा ठिकाना है ..
अब तो दम भी निकलेगा तो तेरा नाम लेकर .
क्या मिला तुझे जालिम मुझे गमे जख्म देकर ..
तुमसे खाकर धोखा जिंदगी बन गयी रेगिस्तान .
इक दिन अपना जीवन कर जायेंगे तेरे नाम ..
तुम मुझे भुला सकती हो मैं न तुम्हे भुला पाऊंगा .
तेरी याद को सीने में लिए दुनिया से चला जाऊँगा ..
मेरे अपने ही मेरी चाहत के दुश्मन हो गए .
मेरा चैन उड़ाकर खुद गहरी नींद सो गए .
लोग तुझे देखते नहीं तेरी करते नुमाइश हैं .
चाहत की जंग में आज मेरी आजमाईश है ..
थोड़ा मुस्कराकर थोड़ा करके इशारा .
तुम बड़े खुश हो मुझे करके बेसहारा ..
गैरों की तरह निकले तुम भी बेवफा .
करीब ना आयेंगे तेरे रहेंगे दूर सदा ..
मेरी मोहब्बत का मज़ाक न उड़ाओ .
हार चुके हैं तुमसे अब दिल ना जलाओ ..
तुम्हारे सामने मैं रहता हूँ बहुत खुश .
सच पूछो तो मुझे हैं तेरी बेवफाई का दुःख ..
हमसे ज्यादा गैर किस्मत वाले हैं .
मेरे सारे दुश्मन आज तेरे रखवाले हैं ..
बेदर्दी तो सारी दुनिया है लेकिन तुमसे ज्यादा नहीं .
तुमसे मोहब्बत करने का अब मेरा कोई इरादा नहीं ..
खुलेआम कर दूं अपनी मोहब्बत का ऐलान .
तुम कहो तो भर दूं अपने खून से तेरी मांग .
तेरी याद में हम कब के खो चुके थे .
तुमसे मिला मैं जब तो गैरों के हो चुके थे ..
मेरा सनम मुझसे रूठता चला गया .
दिल का हर सपना टूटता चला गया ..