नए साल पर कविता 2022

जनवरी 

ड़ी सज-धज कर नई नवेली दुल्हन सी 
तुम आई हो मुस्काती, शर्माती ऐ जनवरी
हम तुम्हारा स्वागत करेंगे, फूल बरसाएंगे
पर कुछ बातें भी तो करेंगे तुमसे,खरी-खरी 
चेहरे पर अदा से झटकती हो जुल्फ़ें
आती हो तो झनकती है तुम्हारी पाजेब 
हम सब से सचमुच ही मोहब्बत करोगी 
या फिर ये भी होगा,कोई तुम्हारा फ़रेब 
नए साल पर कविता 2022

तुम्हारे रंग- रूप, लटके- झटकों पर 

हम पहले भी तो, कितना खा चुके धोखा
जीवन में हमने सोचा था नई उमंग लाओगी  
तुमने तो खुशियों की हर धारा को सोखा 
अपने तन- मन की अब और क्या कहें –
हमारी तो रूह तक है कितनी डरी- डरी
 हम आशा जगाते हैं, भ्रम पालते हैं
 कि देश- दुनिया में लेकर आओगी सुकून 
पर वर्षों से हम सब तो यही देख रहे –
करती हो बेरहमी से इंसानियत का ख़ून
तुम्हारी वो बहनें- फरवरी, मई,जून 
और वो भाई अक्टूबर,नवंबर, दिसंबर 
आग लगाकर हमारी सारी उम्मीदों पर 
नाचते हैं खुद होकर बिल्कुल दिगंबर 
कुछ तो खुद समझो और सब को समझाओ 
फिर तुम्हें आह्लादित हो कहेंगे- हूर परी,हूर परी!
– रावेल पुष्प 
संपर्क : नेताजी टावर ,278/ए, एन.एस.सी. बोस रोड ,
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चलंतभाषः 9434198898.
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