प्रकृति मुस्कुराने लगी है

प्रकृति

प्रकृति मुस्कराने लगी है
पेड़ों पर नई कोंपलें आने लगीं हैं
प्रकृति मुस्कुराने लगी है।
मौसम के रंग बदलने लगे,पक्षियों के स्वर चहकने लगे
फिजा़ओं में मस्ती छाने लगी है,
प्रकृति मुस्कराने लगी है।।

धुंद अब छंट चुकी है, बरखा भी जितनी बरस चुकी है,
अब वादियों में खुमारी छाने लगी है
प्रकृति मुस्कराने लगी  है।।

प्रकृति तो प्रकृति है, वादियों में छिटकी, हो नारियों में सिमटी,
हर अंतरमन में नजर आने लगी है
प्रकृति मुस्कराने लगी है।।
उर में छिपे उफान कई, जो शीत निद्रा सो गए थे,
धीमे – धीमे रोम छिद्रों से , स्वेद बूंद बन बह जाने लगे हैं
वसंत  आगमन में , रोंगों की तरह बाहर आने लगे हैं,
कि हृदय में अंगड़ाईयां आने लगीं हैं
प्रकृति मुस्कराने लगी है।।





– चंचल गोस्वामी 
                                                                   ग्राम-सन्न,
                                                                पो0 ऑ0- वडडा,पिथौरागढ़
                                                                     उत्तराखण्ड

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