प्रेम करोगे तो जानोगे
रूप कई प्रेम के
कौन से प्रेम की
बातें वो किया करता है,
दो कदम चलकर
टूट जाता है अक्सर
रिश्ता कोई,
और कोई प्यारमरने पर भी जिया करता है,
अब कहाँ मिलते है
जीवन यहाँ रिश्तों में
हर रिश्ता जैसे
मतलब के लिए
जिया करता है,
प्रेम को कभी समझोगे
तो जानोगे
ये वो भाषा है
जो कही नही जाती
एहसासों से जुड़ती हैं
प्रेम की असिमता
ये वो भाषा है
जो कही नही जाती
एहसासों से जुड़ती हैं
प्रेम की असिमता
प्रेम करोगे तो जानोगे
कीमत किसी की
मुस्कुराहट की
आहट किसी के
जज्बातो की
साधना किसी के आंसू की
जोड़गे किसी रोज
कोई बंधन किसी से
तो समझोगे
दिल का लगाना
अपनों की मुस्कुराट पर
सब कुछ लुटाना
उलझन एहसासो की
बातें अनकहे जज्बातो की………..
कोई बंधन किसी से
तो समझोगे
दिल का लगाना
अपनों की मुस्कुराट पर
सब कुछ लुटाना
उलझन एहसासो की
बातें अनकहे जज्बातो की………..
यह रचना रूबी श्रीमाली जी द्वारा लिखी गयी है।आपने चौधरी चरण सिंह मेरठ यूनिवर्सिटी, से वाणिज्य में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की है। आप साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखनी चलाती हैं।